नई दिल्ली: राजस्थान (Rajasthan) में मुख्यमंत्री पद की दावेदारी को लेकर तनातनी आखिरकार शुक्रवार को खत्म हो गई. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने वरिष्ठ नेता अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) को राज्य के नए मुख्यमंत्री के तौर पर चुना है. वहीं मुख्यमंत्री की रेस में रहे सचिन पायलट (Sachin Pilot) को उप मुख्यमंत्री के पद से ही संतोष करना पड़ेगा.
विधायक दल के नेता के चयन के लिए पर्यवेक्षक बनाए गए केसी वेणुगोपाल ने यह घोषणा की. यह ऐलान राहुल गांधी के निवास पर दोनों उम्मीदवारों गहलोत व पायलट की कांग्रेस अध्यक्ष के साथ घंटे भर से ज्यादा समय तक चली बैठक के बाद की गई.
अशोक गहलोत ने मुख्यमंत्री के तौर पर चुने जाने पर आभार व्यक्त किया. उन्होंने राजस्थान के लोगों को भरोसा दिया कि पार्टी अपने सभी प्रतिबद्धताओं को पूरा करेगी. इसमें किसानों के कर्ज माफ करने, युवाओं के लिए रोजगार सृजन व सुशासन की बात शामिल है.
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उन्होंने कहा, "मेरे सहयोगी सचिन पायलट व अन्य भी साथ मिलकर राहुल गांधी के वादों व दृष्टिकोण को पूरा करेंगे."
.@ashokgehlot51 a stalwart of the Congress party has been elected CM of Rajasthan. We wish him the best as he takes on this new appointment with vigour, sincerity & a commitment to our democratic values. pic.twitter.com/eMvwuZYMM9
— Congress (@INCIndia) December 14, 2018
वहीं पायलट ने गहलोत को बधाई देते हुए कहा कि राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश के चुनाव राष्ट्रीय राजनीति की दिशा बदलने वाले हैं. इनके नतीजों ने लोगों में आर्थिक विकास व सामाजिक सौहार्द की उम्मीद जगाई है.
अशोक गहलोत तीसरी बार राजस्थान के मुख्यमंत्री बनेंगे, जबकि सचिन पायलट राज्य में प्रशासक के रूप में अपनी शुरुआत करेंगे. सचिन पायलट ने अपना पहला विधानसभा चुनाव जीता है. गहलोत राज्य के रणनीति और जनता को बेहतर ढंग से समझते हैं.
Our best wishes to Shri @SachinPilot, the new Deputy CM of Rajasthan. A young & dedicated leader, he is sure to bring development, peace & happiness to the people of Rajasthan. pic.twitter.com/0UlcCDESFl
— Congress (@INCIndia) December 14, 2018
राजस्थान में कांग्रेस को 99 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है, वहीं बीजेपी 73 सीटों पर सिमट कर रह गई. निर्दलीय पार्टियों का समर्थन हासिल करने के बाद अब कांग्रेस अब राज्य में सरकार बना रही है.
राजस्थान विधानसभा के 20 साल के आंकड़ों को देखें तो यहां हर 5 साल में सरकार की अदला-बदली जारी रही है. राज्य की इसी परंपरा को बरकरार रखते हुए जनता बीजेपी को सत्ता से बाहर का रास्ता दिखाया है.