अखिलेश यादव ने किया बड़ा खुलासा, बताया महागठबंधन में कांग्रेस को क्यों नहीं लिया

समाजवादी पार्टी सुप्रीमो अखिलेश यादव ने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के प्रति 'अपार सम्मान' के बावजूद सबसे पुरानी पार्टी को उत्तर प्रदेश में चुनावी गठबंधन से इसलिए बाहर रखा ताकि 'चुनावी अंकगणित' को सही रख हुए बीजेपी को मात दी जा सके.

बीएसपी सुप्रीमो मायावती और सपा प्रमुख अखिलेश यादव (Photo: Twitter)

कोलकाता:  समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) सुप्रीमो अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के प्रति ' अपार सम्मान' के बावजूद सबसे पुरानी पार्टी को उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में चुनावी गठबंधन से इसलिए बाहर रखा ताकि 'चुनावी अंकगणित' को सही रख हुए बीजेपी को मात दी जा सके. चुनावों के बाद कांग्रेस के साथ काम करने की संभावना को खारिज किए बिना अखिलेश ने कहा कि पार्टी के साथ उनके संबंध अच्छे हैं और वह खुश होंगे अगर अगला प्रधानमंत्री उनके गृह राज्य से हो.

चुनाव के बाद सपा कांग्रेस के साथ काम करने के लिए तैयार होगी यह पूछने पर अखिलेश ने कहा, "हम अभी इसका जवाब नहीं दे सकते. हम चुनाव के बाद इसका जवाब देंगे. लेकिन मैं इतना कह सकता हूं कि देश एक नया प्रधानमंत्री चाहता है और चुनावों के बाद उसे यह मिलेगा." अखिलेश ने 19 जनवरी को विपक्ष की रैली के दौरान पीटीआई से खास बातचीत की. उन्होंने कहा, "अगर आप उत्तर प्रदेश में सीटों की संख्या देखें तो आप पाएंगे कि बीजेपी सरकार के पास बहुमत नहीं है. बीजेपी सामाजिक इंजीनियरिंग की बात करती रहती है.

इसलिए मैंने भी अपना चुनावी अंकगणित ठीक करने का फैसला किया और गठबंधन के जरिये यह किया." उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के तौर पर अपने कार्यकाल के दौरान बहुत सारे विकास कार्य करने के बावजूद वह 2017 का विधानसभा चुनाव हार गए क्योंकि उनका चुनावी अंकगणित ठीक नहीं था. उन्होंने कहा, "इसलिए मैंने बहुजन समाज पार्टी एवं राष्ट्रीय लोक दल को साथ लेकर और कांग्रेस के लिए दो सीटें छोड़कर अंकगणित ठीक कर लिया." समाजवादी पार्टी एवं कांग्रेस ने 2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों के लिए हाथ मिलाया था लेकिन वे बीजेपी से हार गए थे.

उन्होंने सवाल किया, "उत्तर प्रदेश का अंकगणित ठीक करने और बीजेपी को हराने के लिए यह (सपा-बसपा गठबंधन) हुआ है. क्या दूसरों को संतुष्ट करने के लिए हम सीटें (बीजेपी से) हार जाएं." चुनाव पूर्व सपा-बसपा के गठबंधन से बाहर रही कांग्रेस ने घोषणा की है कि वह आगामी लोकसभा चुनावों में राज्य की सभी 80 सीटों पर अकेले लड़ेगी. कांग्रेस को विपक्षी गठबंधन से बाहर रखने से राजनीतिक दृष्टि से अहम राज्य में विपक्ष की संभावनाएं कमजोर होंगी.

यह पूछने पर अखिलेश ने कहा, "सीटों के इस समझौते के साथ हमने विपक्षी एकता को और मजबूत किया है. हमने कांग्रेस के लिए दो सीटें रखी हैं. कांग्रेस के साथ हमारे संबंध हमेशा से अच्छे रहे हैं. संबंधों का मुद्दा अलग है. अहम मुद्दा बीजेपी को हराना है और मैंने अंकगणित की दिशा में काम किया है." कांग्रेस के सभी सीटों पर लड़ने की घोषणा के बाद बदले परिदृश्य में गठबंधन की ओर से उम्मीदवारों को उतारे जाने के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा सपा-बसपा रायबरेली एवं अमेठी में ऐसा नहीं करेगी.

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हालांकि वह इस बात पर कायम रहे कि कांग्रेस को गठबंधन से बाहर रखने और महज दो सीटें देने से विपक्ष के वोट शेयर पर कोई असर नहीं पड़ेगा. प्रधानमंत्री पद के लिए बसपा प्रमुख मायावती और तृणमूल कांग्रेस की ममता बनर्जी में से उनकी पहली पसंद कौन है के प्रश्न पर अखिलेश ने सीधा जवाब नहीं दिया और कहा कि कोशिश एक नये प्रधानमंत्री के चुनाव की होनी चाहिए और कुछ मुद्दों पर चुनावों के बाद भी चर्चा हो सकती है.

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