डराने-धमकाने से...जीत के बाद PM मोदी के इस बयान पर भड़क गया चीन, ताइवान ने ड्रैगन को दिया करारा जवाब
ताइवान ने कहा है कि 2 लोकतांत्रिक देशों के नेताओं के बीच मैत्रीपूर्ण बातचीत पर चीन का गुस्सा बिल्कुल ही अनुचित है. धमकी और डराने-धमकाने से कभी भी दोस्ती नहीं बनती.
नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में NDA तीसरी बार जीत हासिल कर चुका है और 9 जून को वह प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने वाले हैं. इस जीत पर देश-विदेश से बधाई के संदेश आ रहे हैं. लेकिन ताइवान के राष्ट्रपति लाई चिंग-टे की बधाई पर चीन भड़क गया है!
चीन ने मोदी जी द्वारा ताइवान के राष्ट्रपति को धन्यवाद कहने का जोरदार विरोध किया है. चीन का कहना है कि ताइवान उसका एक विद्रोही प्रांत है, जिसे किसी भी कीमत पर, चाहे वह बल से ही क्यों न हो, मुख्य भूमि (चीन) में मिला दिया जाएगा.
चीन का यह विरोध इसलिए है क्योंकि वो ताइवान को अपने देश का हिस्सा मानता है और उसे स्वतंत्र देश मानने से इनकार करता है. चीन का ये भी कहना है कि भारत को ताइवान के राजनीतिक मामलों में दखल नहीं देना चाहिए.
ताइवान ने दिया करारा जवाब
ताइवान के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि दो लोकतांत्रिक देशों के नेताओं के बीच मैत्रीपूर्ण बातचीत पर चीन का गुस्सा बिल्कुल ही अनुचित है. धमकी और डराने-धमकाने से कभी भी दोस्ती नहीं बनती. ताइवान भारत के साथ पारस्परिक लाभ और साझा मूल्यों पर आधारित साझेदारी बनाने के लिए प्रतिबद्ध है.
चीने ने क्या कहा था
चीन ने कहा कि भारत को ताइवान के राजनीतिक तिकड़मबाजी से दूर रहना चाहिए. चीन, ताइवान को विद्रोही प्रांत के रुप में देखता है, जिसका मेनलैंड में विलय होना चाहिए. चीन के विदेश मंत्री की प्रवक्ता माओ निंग ने कहा कि चीन ने भारत के समक्ष विरोध जताया है. ताइवान क्षेत्र का कोई राष्ट्रपति ही नहीं है. चीन ताइवान और अन्य देशों के बीच आधिकारिक संवाद का किसी भी रूप से विरोध करता है. दुनिया में सिर्फ एक ही चीन है और ताइवान, चीन का अभिन्न अंग है. वन चाइना सिद्धांत को सार्वभौमिक रूप से मान्यता मिली हुई है.
चीन के विदेश मंत्री की प्रवक्ता माओ निंग ने कहा- भारत ने गंभीर राजनीतिक प्रतिबद्धताएं जताई हैं, उन्हें ताइवान की राजनीतिक तिकड़मबाजी से दूर रहना चाहिए. हमने इसे लेकर भारत के समक्ष विरोध जताया है.