पेट्रोल-डीजल पर वैट घटाने की PM मोदी की अपील के बाद केंद्र और राज्य सरकारों में ठनी, जानें कौन-कौन से राज्यों ने क्या कहा
पेट्रोल और डीजल पर लगने वाले टैक्स को लेकर केंद्र और कई राज्यों की सरकारें आमने-सामने नजर आ रहीं हैं. दरअसल विपक्ष शासित कई राज्यों में पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमत का मुद्दा छेड़ते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को इसे उन राज्यों की जनता के साथ अन्याय करार दिया और उनसे राष्ट्र हित में पेट्रोलियम उत्पादों पर से मूल्य वर्धित कर (वैट) घटा कर आम आदमी को राहत देने की अपील की. जिसके बाद उत्पाद शुल्क (Excise Duty) और वैट (मूल्य वर्धित कर) को लेकर सियासत तेज हो गई.
नई दिल्ली: पेट्रोल (Petrol) और डीजल (Diesel) पर लगने वाले टैक्स को लेकर केंद्र और कई राज्यों की सरकारें आमने-सामने नजर आ रहीं हैं. दरअसल विपक्ष शासित कई राज्यों में पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमत का मुद्दा छेड़ते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) ने बुधवार को इसे उन राज्यों की जनता के साथ अन्याय करार दिया और उनसे राष्ट्र हित में पेट्रोलियम उत्पादों पर से मूल्य वर्धित कर (वैट) घटा कर आम आदमी को राहत देने की अपील की. जिसके बाद उत्पाद शुल्क (Excise duty) और वैट (मूल्य वर्धित कर) को लेकर सियासत तेज हो गई.
तमिलनाडु
तमिलनाडु के वित्त और मानव संसाधन प्रबंधन मंत्री ने कहा तमिलनाडु सरकार ने वास्तव में केंद्र सरकार की कार्रवाई से पहले अगस्त 2021 में पेट्रोल पर वैट में कटौती की थी. उस कटौती से राज्य के नागरिकों को 3 रुपये प्रति लीटर की राहत मिली. अनुमान लगाया गया था कि इस कमी से राज्य सरकार को सालाना 1,160 करोड़ रुपये का नुकसान होगा. फिर भी लोगों पर आर्थिक बोझ कम करने के लिए ऐसा किया गया था.
राजस्थान
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने केंद्र पर पेट्रोल और डीजल पर टैक्स लगाकर देश के इतिहास में सबसे ज्यादा राजस्व कमाने का आरोप लगाया. राजस्थान पेट्रोल पर 30 फीसदी और डीजल पर 22 फीसदी वैट लगाता है, जो देश में सबसे ज्यादा है. उन्होंने कहा, "केंद्र ने पिछले आठ वर्षो में उत्पाद शुल्क से लगभग 26 लाख करोड़ रुपये कमाए, जो कि पेट्रोल और डीजल पर कर लगाकर देश के इतिहास में किसी भी सरकार द्वारा अर्जित सबसे अधिक राशि है. यूपीए युग की तुलना में कच्चे तेल की कम कीमतों के बावजूद, मौजूदा शासन में पेट्रोल 110 रुपये प्रति लीटर से अधिक और डीजल 100 रुपये प्रति लीटर से अधिक पर बेचा जा रहा है."
यूपीए सरकार के कार्यकाल में कच्चे तेल की कीमत 100 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गई थी, लेकिन आम आदमी के हित को देखते हुए पेट्रोल की कीमत 70 रुपये प्रति लीटर और डीजल 50 रुपये प्रति लीटर से अधिक नहीं थी. प्रधानमंत्री द्वारा जयपुर का नाम लेने पर गहलोत ने कहा, "शायद प्रधानमंत्री ने बीजेपी शासित भोपाल को संदेश देने के लिए जयपुर का नाम लिया, जहां पेट्रोल-डीजल के दाम जयपुर से ज्यादा हैं. शायद उन्होंने गलती से भोपाल को जयपुर कह दिया."
गहलोत ने कहा, "राजस्थान सरकार ने 29 जनवरी, 2021 को पेट्रोल और डीजल पर वैट में 2 प्रतिशत की कमी की, भले ही केंद्र ने उस समय उत्पाद शुल्क में कमी नहीं की थी. दो दिन बाद 2021-22 के केंद्रीय बजट में, कृषि अधोसंरचना और विकास के नाम पर डीजल पर 4 रुपये और पेट्रोल पर 2.5 रुपये का नया उपकर लगाया गया. इससे राजस्थान के लोगों को वैट में 2 प्रतिशत की कमी का लाभ नहीं मिल सका."
"4 नवंबर, 2021 को केंद्र ने पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क में 5 रुपये और डीजल पर 10 रुपये प्रति लीटर की कमी की, जबकि मई 2020 में कोविड लॉकडाउन के दौरान, केंद्र सरकार ने पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क में 10 रुपये और डीजल पर उत्पाद शुल्क में 13 रुपये प्रति लीटर की वृद्धि की." उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने राज्यों के वैट की बात तो की, लेकिन केंद्र सरकार के उत्पाद शुल्क की जानकारी नहीं दी.
पश्चिम बंगाल
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गैर-बीजेपी शासित राज्यों पर पेट्रोल और डीजल पर मूल्य वर्धित कर (वैट) नहीं कम करने का आरोप लगाया है, लेकिन तथ्य यह है कि केंद्र सरकार सिर्फ भाजपा शासित राज्यों को तरजीह दे रही है और बाकी की अनदेखी कर रही है, बकाया राशि का भुगतान नहीं कर रही है.
ममता बनर्जी ने यहां मीडियाकर्मियों से कहा, "हालांकि, उन्होंने यह नहीं कहा कि केंद्र सरकार केंद्रीय बकाया के भुगतान के मामले में भाजपा शासित राज्य और गैर-भाजपा राज्य सरकारों के बीच अंतर व्यवहार कर रही है." ममता ने कहा, "पश्चिम बंगाल में हम पहले से ही पेट्रोल और डीजल पर 1 रुपये प्रति लीटर की सब्सिडी दे रहे हैं. केंद्र सरकार से पश्चिम बंगाल सरकार का कुल बकाया 97,000 करोड़ रुपये है. मैं प्रधानमंत्री से हमें भुगतान करने का अनुरोध करती हूं. हमें उस राशि का आधा भी मिले तो हम बीजेपी शासित राज्यों की तुलना में पेट्रोल और डीजल पर बहुत अधिक सब्सिडी देंगे."
दिल्ली
गौरतलब है दिल्ली में पेट्रोल पर करीब 49 रुपये बतौर टैक्स वसूला जाता है. यह टेक्स प्रति 1 लीटर पेट्रोल पर वसूला जाता है. पेट्रोल पर वसूले जाने वाले टैक्स में केंद्रीय एक्साइज टैक्स और राज्य सरकार द्वारा वसूले जाने वाला वैल्यू ऐडेड टैक्स शामिल है. दिल्ली में 27 अप्रैल को पेट्रोल की कीमत 105.41 रुपये प्रति लीटर रही. इसमें प्रति लीटर पेट्रोल पर 49.09 रुपये का टैक्स लगता है. पेट्रोल पर प्रति लीटर कुल टैक्स में से 27.90 रुपये एक्साइज ड्यूटी है और 17.13 रुपये वैट है. इसमें डीलर कमीशन 3.86 रुपये प्रति लीटर है. पेट्रोल के अलावा दिल्ली में डीजल 96.67 रुपये प्रति लीटर है. पेट्रोल की तरह डीजल पर भी केंद्रीय एक्साइज कर,राज्य सरकार का वैट और डीलर कमीशन लिया जाता है.
महाराष्ट्र
पीएम मोदी की अपील के बाद महाराष्ट्र की उद्धव सरकार ने भी ट्वीट कर पेट्रोल-डीजल के वैट के आंकड़े पेश किये. जिसके बाद केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने ट्वीट कर कहा “महाराष्ट्र सरकार ने 2018 से ईंधन कर के रूप में 79,412 करोड़ रुपये एकत्र किए हैं और इस वर्ष 33,000 करोड़ रुपये एकत्र करने की उम्मीद है. लोगों को राहत देने के लिए उसने पेट्रोल और डीजल पर वैट क्यों नहीं घटाया?
दरअसल केंद्र ने बीते वर्ष नवंबर में पेट्रोल और डीजल पर एक्साइज ड्यूटी में कटौती की थी. केंद्र सरकार द्वारा लिए गए इस निर्णय के उपरांत भाजपा शासित राज्यों समेत कुछ राज्यों ने भी पेट्रोल-डीजल पर वैट पर घटाया था. हालांकि इस दौरान कई गैर बीजेपी शासित राज्य ऐसे रहे जिन्होंने डीजल पेट्रोल पर लगने वाले वैट की दरों में कोई बदलाव नहीं किया. जिन राज्यों ने वैट की दरें नहीं खटाई थी उनमें पश्चिम बंगाल, तेलंगाना, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, झारखंड और केरल आदि शामिल हैं. जिस वजह से इन राज्यों में पेट्रोल-डीजल पर वैट की दर देश में सबसे ज्यादा है, जिससे आम आदमी ऊंची दरों पर ऑटो ईंधन खरीदने को मजबूर है.