व्यापार में आई नरमी और घरेलू औद्योगिक गतिविधियों में गिरावट के कारण जून में नीतिगत दरों में 0.25 प्रतिशत की कटौती कर सकता है रिजर्व बैंक

वैश्विक मोर्चे पर व्यापार में नरमी तथा घरेलू औद्योगिक गतिविधियों में गिरावट आने के कारण रिजर्व बैंक अगली मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक में नीतिगत दरों में 0.25 प्रतिशत की कटौती कर सकता है.

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (File Photo)

नई दिल्ली:  वैश्विक मोर्चे पर व्यापार में नरमी तथा घरेलू औद्योगिक गतिविधियों में गिरावट आने के कारण रिजर्व बैंक (Reserve Bank) अगली मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक में नीतिगत दरों में 0.25 प्रतिशत की कटौती कर सकता है. एक रिपोर्ट में यह अनुमान व्यक्त किया गया है. डून एंड ब्रैडस्ट्रीट (Dun & Bradstreet) के हालिया आर्थिक पूर्वानुमान के अनुसार, अमेरिका और अन्य देशों के बीच जारी आर्थिक तनाव का भारत जैसी उभरती अर्थव्यवस्थाओं पर असर पड़ेगा.

डीएंडबी के मुख्य अर्थशास्त्री अरुण सिंह ने कहा, ‘‘जहां अभी मुद्रास्फीति बढ़ने का जोखिम मुख्यत: मानसून के कारण है, वहीं खाद्य पदार्थों की कीमतों में रुझान बदलने तथा कच्चा तेल की कीमत बढ़ने से नीतिगत बैठक में स्थिति को परखने के बाद निर्णय लेने की जरूरत है. हालांकि वृद्धि की गति में धीमापन आने से मौद्रिक नीति के निर्णय पर दबाव रहेगा.’’

यह भी पढ़ें: रिजर्व बैंक ने बदला ऑनलाइन ट्रांजैक्शन (RTGS) से जुड़ा ये नियम, 1 जून से हो जाएगा लागू

डीएंडबी ने अगले महीने की शुरुआत में मौद्रिक नीति समिति की होने वाली बैठक में नीतिगत दरों में 0.25% की कटौती का अनुमान व्यक्त किया है. समिति की अगली बैठक 3, 4 और 6 जून को होने वाली है. इस रिपोर्ट के अनुसार, घरेलू मोर्चे पर औद्योगिक गतिविधियों में कमी तथा व्यापार को लेकर अनिश्चितता से औद्योगिक निवेश में सुधार आने में देरी होगी.

सिंह ने कहा, ‘‘नोटबंदी और जीएसटी के कारण आयी दिक्कतें अब दूर हो चुकी हैं. विभिन्न क्षेत्रों में धीमे सुधार तथा निवेश के साथ ही मांग के कमजोर रहने से इस बात के संकेत मिलते हैं कि आर्थिक गतिविधियों का धीमापन अब स्पष्ट दिखने लगा है.’’ रिपोर्ट में कहा गया है कि औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (Industrial production index) के ऊपर कुछ क्षेत्रों में सुस्ती के साथ ही वैश्विक व्यापार की अनिश्चितता का भी दबाव रहेगा. डीएंडबी को अप्रैल 2019 में आईआईपी के दो से तीन प्रतिशत की दर से बढ़ने का अनुमान है.

Share Now

\