प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) 22वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन के लिए रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) के निमंत्रण पर सोमवार, 8 जुलाई से 9 जुलाई तक मास्को की दो दिवसीय यात्रा पर रहेंगे. फरवरी 2022 में मास्को द्वारा यूक्रेन पर आक्रमण करने के बाद से यह मोदी की पहली रूस यात्रा होगी. रूस की उनकी पिछली यात्रा 2019 में हुई थी, जब उन्होंने सुदूर पूर्वी शहर व्लादिवोस्तोक में एक आर्थिक सम्मेलन में भाग लिया था. British-Indian MP Kanishka Narayan: कौन हैं ब्रिटेन के सांसद कनिष्क नारायण, भारत से क्यों दी जा रही है उनको बधाई?
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के निमंत्रण पर प्रधानमंत्री मोदी 22वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे और वह आठ एवं नौ जुलाई को मॉस्को में रहेंगे. रूस पीएम मोदी की मॉस्को की ‘‘बेहद अहम यात्रा’’ को लेकर उत्सुक है और वह इस यात्रा को रूस तथा भारत के संबंधों के लिए अति महत्वपूर्ण मानता है. रूस के राष्ट्रपति के आधिकारिक आवास एवं कार्यालय ‘क्रेमलिन’ के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने शनिवार को यह बात कही.
क्यों अहम है PM मोदी की यात्रा
पीएम मोदी की इस रूस यात्रा पर पूरी दुनिया की नजर है. रूस तो पीएम मोदी का बेसब्री से इंतजार कर रहा है. पीएम मोदी की इस यात्रा से पुतिन पश्चिम के प्लान पर पानी फेरने की प्लानिंग में हैं. खुद रूस का मानना है कि पीएम मोदी और पुतिन के मिलन से पश्चिम को खूब जलन होगी.
दरअसल रूस-यूक्रेन की जंग को दो साल से अधिक हो गए. रूस अब भी यूक्रेन पर ताबड़ताड़ अटैक कर रहा है. वहीं, अमेरिका समेत पश्चिमी देश रूस को दुनिया से अलग-थलग करना चाहते हैं. मगर पुतिन हैं कि पश्चिम को लगातार जवाब दे रहे हैं. कभी चीन को साध कर तो कभी नॉर्थ कोरिया का दौरा करके तो कभी वियतनाम को अपने साथ मिलाकर, रूस यह बता रहा है कि उसके साथ भी दुनिया के कई देश हैं.
पश्चिम को टेंशन
रूस पीएम मोदी की इस यात्रा को अवसर के रूप में देख रहा है. रूस पीएम मोदी की इस यात्रा से दुनिया को संदेश देना जा रहे हैं. साथ ही वह पश्चिम के अलग-थलग करने वाले प्लान पर भी पानी फेर रहे हैं.
बता दें कि भारत और रूस के बीच अच्छी दोस्ती है. पश्चिम के दबाव के बाद भी भारत ने पुतिन का साथ दिया और उससे तेल खरीदना जारी रखा. इसकी वजह से रूस को युद्ध के हालात में भी पैसों की कमी नहीं हुई. हालांकि, भारत रूस को स्पष्ट कर चुका है कि वह शांति के पक्ष में है. पीएम मोदी कई बार दोहरा चुके हैं कि वह हिंसा और युद्ध के पक्ष में नहीं है, रूस-यूक्रेन जंग का एकमात्र उपाय शांति-वार्ता ही है.