प्रधानमंत्री का उत्तर प्रदेश दौरा आज, बुंदेलखंड एक्स्प्रेस-वे की रखेंगे आधारशिला- किसानों को भी मिलेगी बड़ी सौगात

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज (29 फरवरी) उत्तर प्रदेश के दौरे पर जा रहे है. इस दौरान पीएम मोदी चित्रकूट में बुंदेलखंड एक्स्प्रेसवे की आधारशिला रखेंगे. 296 किलोमीटर लंबे एक्सप्रेसवे से चित्रकूट, बांदा, महोबा, हमीरपुर, जालौन, ओरैया और इटावा जिलों को फायदा पहुंचेगा.

पीएम मोदी (Photo Credits: IANS)

लखनऊ: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) आज (29 फरवरी) उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के दौरे पर जा रहे है. इस दौरान पीएम मोदी चित्रकूट में बुंदेलखंड एक्स्प्रेसवे (Bundelkhand Expressway) की आधारशिला रखेंगे. 296 किलोमीटर लंबे एक्सप्रेसवे से चित्रकूट, बांदा, महोबा, हमीरपुर, जालौन, ओरैया और इटावा जिलों को फायदा पहुंचेगा.

एक्सप्रेस-वे फरवरी, 2018 में सरकार द्वारा घोषित उत्तर प्रदेश रक्षा औद्योगिक गलियारे की सहमति के बिंदुओं को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान देगा. उत्तर प्रदेश सरकार बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे का निर्माण कर रही है, जो चित्रकूट, बांदा, हमीरपुर और जालौन जिलों से गुजरेगा. यह एक्सप्रेसवे बुंदेलखंड क्षेत्र को आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे और यमुना एक्सप्रेसवे के रास्ते से जोड़ेगा. साथ ही बुंदेलखंड क्षेत्र के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा. यह भी पढ़े: PM मोदी ने देश को समर्पित किया 135 किमी लंबा केएमपी एक्सप्रेस-वे, कांग्रेस पर जमकर बरसे

भारत को भूमि प्रणाली, जहाज और पनडुब्बियों से लेकर लड़ाकू विमानों, हेलीकॉप्टरों, हथियारों और सेंसरों जैसे रक्षा उपकरणों की भारी जरूरत है. यह आवश्यकता 2025 तक 250 बिलियन अमरीकी डॉलर की होगी. इस आवश्यकता को पूरा करने के लिए सरकार ने लखनऊ में निवेशकों के शिखर सम्मेलन के दौरान 21 फरवरी, 2018 को उत्तर प्रदेश में रक्षा औद्योगिक गलियारा स्थापित करने की घोषणा की थी.

केन्द्र सरकार ने आरंभ में 6 क्लस्टरों की पहचान करते हुए गलियारा स्थापित किया है. ये हैं- लखनऊ, झांसी, चित्रकूट, अलीगढ़, कानपुर, आगरा, जिनमें से बुंदेलखंड क्षेत्र – झांसी और चित्रकूट में 2 क्लस्टर तैयार किए जा रहे हैं. वास्तव में सबसे बड़ा क्लस्टर झांसी में तैयार किया जाएगा.

ऐसी भूमि जिसपर खेती नहीं की गई है, उसे झांसी और चित्रकूट दोनों जगहों पर खरीद लिया गया है. क्षेत्र के गरीब किसानों को इससे लाभ मिलेगा.

किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) की शुरुआत

पीएम मोदी उसी दिन चित्रकूट में देश भर में 10,000 किसान उत्पादक संगठनों की शुरुआत करेंगे. करीब 86 प्रतिशत किसान छोटे और सीमांत किसान हैं, जिनके पास देश में औसतन जोत क्षेत्र 1.1 हेक्टेयर से भी कम है. लघु, सीमांत और भूमिहीन किसानों को कृषि उत्पादन वाले चरण के दौरान काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. इन चुनौतियों में प्रौद्योगिकी गुणवत्तापूर्ण बीज, उवर्रक और आवश्यक धनराशि सहित कीटनाशकों तक पहुंच शामिल है. आर्थिक शक्ति की कमी के कारण उन्हें अपने उत्पाद के विपणन में भी भारी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है.

एफपीओ ऐसे मुद्दों से निपटने के लिए उन्हें सामूहिक शक्ति देने के लिए ऐसे लघु, सीमांत और भूमिहीन किसानों के सामूहिकीकरण में मदद करता है. एफपीओ के सदस्य प्रौद्योगिकी, निविष्टि, वित्त और बाजार तक बेहतर पहुंच के लिए संगठन में मिलकर अपने कार्यों का प्रबंध करते हैं ताकि उनकी आमदनी तेजी से बढ़ सके.

यद्यपि किसानों की आय दोगुना करने (डीएफआई) की रिपोर्ट में 2022 तक 7,000 एफपीओ के गठन की सिफारिश की गई है, केन्द्र सरकार ने अगले पांच वर्ष में किसानों के लिए भारी उत्पादन के कारण लागत में बचत सुनिश्चित करने के लिए 10,000 नए एफपीओ का गठन करने की घोषणा की है.

केन्द्रीय बजट 2020-21 में सरकार ने मूल्यवर्द्धन, विपणन और निर्यात को बढ़ावा देने के लिए ‘एक जिला एक उत्पाद’ की रणनीति के जरिये कृषि उत्पाद के लिए क्लस्टर दृष्टिकोण अपनाने का प्रस्ताव रखा.

मोदी सरकार ने ‘किसान उत्पाद संगठनों का गठन और संवर्द्धन (एफपीओ)’ शीर्षक से नई समर्पित केन्द्रीय क्षेत्र की योजना शुरू की, जिसमें 10,000 नए एफपीओ गठित करने और उन्हें बढ़ावा देने के लिए स्पष्ट रणनीति और प्रतिबद्धता के साथ संसाधनों की व्यवस्था की गई है.

दिव्यांगजनों, वरिष्ठ नागरिकों को देंगे सहायता यंत्र और उपकरण

इसके बाद पीएम मोदी प्रयागराज जाएंगे और एक विशाल वितरण शिविर में वरिष्ठ नागरिकों (राष्ट्रीय वयोश्री योजना-आरवीवाई के अंतर्गत) और दिव्यांगजनों को (एडीआईपी योजना के अंतर्गत) सहायता यंत्र और उपकरण देंगे. देश में यह सबसे बड़ा वितरण शिविर होगा, जिसमें सबसे अधिक संख्या में लाभान्वितों को शामिल किया गया है, साथ ही इसमें वितरित किए जाने वाली उपकरणों और सहायता यंत्रों की संख्या तथा उनका मूल्य सबसे अधिक है. इस विशाल शिविर में 56,000 से अधिक विभिन्न प्रकार के सहायता यंत्र और उपकरण 26,000 लाभान्वितों को मुफ्त वितरित किए जाएंगे. सहयता यंत्र और उपकरणों का मूल्य 19 करोड़ रुपये से अधिक है.

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