दिल्ली सरकार की शराब नीति को लेकर आप और भाजपा के दावों पर बंटी हुई है लोगों की राय: सर्वे
दिल्ली सरकार की शराब नीति को लेकर विवाद बढ़ता ही जा रहा है. हालांकि दिल्ली सरकार ने नई नीति लागू करते हुए दावा किया था कि इससे उसका उद्देश्य राष्ट्रीय राजधानी में स्पिरिट के कारोबार में कदाचार को रोकने के अलावा राजस्व बढ़ाने का है.
नई दिल्ली, 26 जुलाई : दिल्ली सरकार की शराब नीति को लेकर विवाद बढ़ता ही जा रहा है. हालांकि दिल्ली सरकार ने नई नीति लागू करते हुए दावा किया था कि इससे उसका उद्देश्य राष्ट्रीय राजधानी में स्पिरिट के कारोबार में कदाचार को रोकने के अलावा राजस्व बढ़ाने का है. दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने नियमों के कथित उल्लंघन और प्रक्रियात्मक खामियों को लेकर आप सरकार की आबकारी नीति, 2021-22 की सीबीआई जांच की सिफारिश की है. 2020 में प्रस्तावित, दिल्ली आबकारी नीति-2021-22 नवंबर 2021 से लागू हुई थी.
नई नीति के अनुसार, दिल्ली सरकार द्वारा संचालित सभी शराब की दुकानों को बंद कर दिया गया और इनका संचालन निजी कर दिया गया. नई आबकारी नीति के तहत 32 जोनों में विभाजित शहर भर में 849 दुकानों के लिए निजी बोलीदाताओं को खुदरा लाइसेंस दिए गए थे. एक ओर जहां राष्ट्रीय राजधानी में विपक्ष ने नई आबकारी नीति के कार्यान्वयन में नियमों के उल्लंघन और प्रक्रियात्मक चूक का आरोप लगाया है, वहीं दूसरी ओर आम आदमी पार्टी (आप) ने कहा है कि भाजपा परेशान है, क्योंकि नई शराब नीति शहर में अवैध शराब की बिक्री पर अंकुश लगाने के लिए है. यह भी पढ़ें : कोविड-19 के कारण जनगणना 2021 एवं संबंधित जमीनी गतिविधियां अगले आदेश तक स्थगित की गईं : सरकार
सीवोटर-इंडियाट्रैकर ने पूरे विवाद पर लोगों की राय जानने के लिए आईएएनएस की ओर से देशव्यापी सर्वे किया. सर्वे के दौरान अरविंद केजरीवाल सरकार की नई शराब नीति को लेकर आप और बीजेपी के दावों को लेकर लोगों की राय बंटी हुई नजर आई. सर्वेक्षण के आंकड़ों के अनुसार, जहां 52 प्रतिशत उत्तरदाताओं (सर्वे में शामिल लोग) ने कहा कि आप द्वारा किए गए दावे सही हैं, वहीं 48 प्रतिशत भाजपा द्वारा लगाए गए आरोपों से सहमत हैं.
सर्वेक्षण के दौरान इस मुद्दे पर आप और भाजपा द्वारा किए गए दावों और जवाबी दावों के बारे में शहरी और ग्रामीण दोनों तरह के मतदाताओं की राय बंटी हुई थी. सर्वेक्षण के आंकड़ों के मुताबिक, जहां 54 फीसदी ग्रामीण मतदाताओं ने इस मुद्दे पर आप के बयानों पर भरोसा जताया, वहीं 52 फीसदी शहरी मतदाताओं ने कहा कि बीजेपी के आरोप सही हैं. चुनाव के दौरान राजनीतिक ध्रुवीकरण साफतौर पर स्पष्ट था. सर्वेक्षण के दौरान, जहां 65 प्रतिशत विपक्षी मतदाताओं ने जोर देकर कहा कि आप द्वारा किए गए दावे सही हैं, वहीं एनडीए के 65 प्रतिशत समर्थक भाजपा द्वारा लगाए गए आरोपों से सहमत दिखाई दिए.