पटना: बवाल मचाने के बाद 175 पुलिसकर्मी सस्पेंड, यह था मामला
एक प्रशिक्षु महिला सिपाही की मौत के बाद यहां की पुलिस के गत शुक्रवार को हिंसक होने और न्यू पुलिस लाइन में तोड़फोड़ करने के मामले में 167 प्रशिक्षु सिपाहियों तथा आठ पुराने सिपाहियों को सेवा से बर्खास्त कर दिया गया है....
पटना: एक प्रशिक्षु महिला सिपाही की मौत के बाद यहां की पुलिस के गत शुक्रवार को हिंसक होने और न्यू पुलिस लाइन में तोड़फोड़ करने के मामले में 167 प्रशिक्षु सिपाहियों तथा आठ पुराने सिपाहियों को सेवा से बर्खास्त कर दिया गया है तथा 23 पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया है. पटना प्रक्षेत्र के पुलिस महानिरीक्षक नैयर हसनैन खान जिन्हें सरकार ने इस मामले की जांच का जिम्मा सौंपा था, उन्होंने बताया कि हंगामे में शामिल 167 प्रशिक्षु सिपाहियों और आठ पुराने पुरुष सिपाहियों को सेवा से बर्खास्त कर दिया गया है तथा 23 पुरुष पुलिसकर्मियों को कर्तव्यहीनता और अनुशासनहीनता के आरोप में निलंबित किया गया है.
सेवा से बर्खास्त किए गए 167 प्रशिक्षु सिपाहियों में करीब आधी संख्या महिला पुलिसकर्मियों की है. उन्होंने बताया कि इसके अलावा पिछले दस साल से पुलिस लाइन में जमे 93 पुलिसकर्मियों को चिह्नित कर उन्हें पटना जोन से बाहर स्थानांतरित किए जाने के लिए पुलिस मुख्यालय को लिखा गया है. नैयर ने बताया कि इस मामले में कुल चार प्राथमिकी दर्ज की गयीं. जो दोषी पाए जाएंगे, उनकी गिरफ्तारी भी होगी. छुट्टी नहीं दिए जाने के कारण बीमार महिला सिपाही सविता पाठक की मौत होने के आरोप के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि जांच के दौरान पाया गया कि पूर्व में उसे चिकित्सा अवकाश दिया गया था.
उसके काम पर लौटने के बाद ड्यूटी लगाए जाने पर गत 30 अक्टूबर को उसने तबियत ठीक न होने की बात कही थी, पर उसकी ड्यूटी लगा दी गयी. इस मामले में जवाबदेह ट्रैफिक पुलिस के एक हवलदार और दो सिपाहियों को निलंबित किया गया है जो 23 निलंबित किए गए पुलिसकर्मियों में शामिल हैं. नैयर ने कहा कि पुलिस लाइन में मौजूद अस्पताल में पदस्थापित मेडिकल आफिसर द्वारा उक्त बीमार महिला सिपाही के स्वास्थ्य की जांच नहीं किए जाने पर उनके खिलाफ कार्रवाई की अनुशंसा की जाएगी.
पुलिस लाइन में तैनात पुलिस उपाधीक्षक मसलेहुद्दीन पर बीमार महिला सिपाही को छुट्टी नहीं दिए जाने के आरोप के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि जांच में उनके खिलाफ कोई आरोप सामने नहीं आया है. ऐसा लगता है पुलिस संघ के लोग जिनके खिलाफ पूर्व में कार्रवाई हुई थी, ने बदला लेने के उदृदेश्य से सिपाहियों को उकसाया होगा. मसलेहुद्दीन ने भी स्वयं प्राथमिकी दर्ज करायी है. उपद्रवी सिपाहियों ने मसलेहुद्दीन की बुरी तरह पिटाई कर दी थी तथा उनके आवास के भीतर घुसकर तोड़फोड़ और उनके परिवार के साथ दुर्व्यवहार किया था.