भारत पर साइबर जासूसी का बड़ा खतरा, पाकिस्तान के हैकर्स AI स्पाइवेयर के जरिए सेना और सरकारी सिस्टम को बना रहे निशाना
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भारत की खुफिया एजेंसियों ने एक गंभीर चेतावनी जारी की है. पाकिस्तान से जुड़े हैकर समूह ‘ट्रांसपेरेंट ट्राइब’ ने भारतीय सैन्य और सरकारी कंप्यूटरों को निशाना बनाने की कोशिश तेज कर दी है. यह हैकर ग्रुप AI-आधारित जासूसी सॉफ्टवेयर DeskRAT का इस्तेमाल कर रहा है, जो बेहद खतरनाक और पकड़ में न आने वाला मैलवेयर है.

सरकारी सिस्टम पर गुप्त हमला

सूत्रों के अनुसार, यह साइबर हमला भारत-चीन सीमा तनाव से जुड़ा हुआ है. हैकर्स भारतीय सिस्टम में सेंध लगाकर चीन की सैन्य गतिविधियों की जानकारी हासिल करना चाहते हैं. इसके लिए वे ऐसे ईमेल भेज रहे हैं जो सरकारी नोटिस या इंटेलिजेंस अपडेट जैसे दिखते हैं, ताकि अधिकारी इन्हें खोलने में धोखा खा जाएं.

BOSS Linux को बनाया मुख्य लक्ष्य

DeskRAT खास तौर पर BOSS Linux सिस्टम को निशाना बनाता है, जिसका उपयोग देशभर के कई सरकारी दफ्तरों में किया जाता है. यह मैलवेयर सिस्टम को क्रैश नहीं करता, बल्कि चुपचाप फाइलें, दस्तावेज़, सुरक्षा योजनाएं और पासवर्ड जैसी अहम जानकारी चुरा लेता है. कई बार महीनों तक उसकी मौजूदगी का पता तक नहीं चल पाता.

AI से और भी घातक हुआ साइबर हमला

खुफिया एजेंसियों के अनुसार, इस साल हैकर ग्रुप ने अपनी तकनीक को और मजबूत किया है. उन्होंने अब क्लाउड सर्विस की जगह प्राइवेट सर्वर उपयोग करना शुरू कर दिया है, जिससे इन्हें ट्रैक करना मुश्किल हो गया है.

सबसे बड़ा खतरा यह है कि अब वे AI और बड़े भाषा मॉडल (LLM) का इस्तेमाल कर रहे हैं, जिससे नई मैलवेयर वेरिएंट बहुत तेजी से बनाकर तैनात किए जा रहे हैं. इससे साइबर सुरक्षा एजेंसियों के लिए इनका मुकाबला करना और भी कठिन हो गया है.

क्यों है यह हमला सबसे खतरनाक?

इस जासूसी अभियान का मकसद सिस्टम को बाधित करना नहीं, बल्कि लंबे समय तक जासूसी करना है. अगर यह मैलवेयर सरकारी नेटवर्क में गहराई तक पहुंच गया, तो भारत की सैन्य योजनाएं और गोपनीय संवाद चैनल खतरे में पड़ सकते हैं.

पहले भी कर चुका है हमला यह ग्रुप

ट्रांसपेरेंट ट्राइब इससे पहले भी भारतीय सुरक्षा से जुड़े दस्तावेजों के नाम पर फिशिंग अटैक कर चुका है. उस समय उसने Crimson RAT मैलवेयर फैलाया था, जिसे PPT और PDF फाइलों के रूप में छिपाया गया था.

सुरक्षा एजेंसियां हुईं हाई अलर्ट पर

विशेषज्ञों का कहना है कि साइबर दुश्मन अब AI-आधारित तकनीकों का उपयोग कर रहा है, इसलिए भारत को भी ऑटोमेटेड डिटेक्शन और तेजी से रिस्पॉन्स करने वाली तकनीकों की जरूरत है. क्योंकि अब साइबर युद्ध सिर्फ डेटा चोरी नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा का मामला बन चुका है.