पाकिस्तान ने कुलभूषण जाधव (Kulbhushan Jadhav) के लिए भारत को दूसरे कॉन्सुलर एक्सेस की बात तो मान लिया लेकिन अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है. एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक जब भारतीय कॉन्सुलर अधिकारी कुलभूषण जाधव से मुलाकात करने पहुंचे तो उस वक्त पाकिस्तानी अधिकारी नजदीक ही मौजूद रहे. इस दौरान उनकी बातचीत को कैमरें में रिकॉर्ड करने की कोशिश भी की गई. वहीं इस दौरान कुलभूषण जाधव तनाव में नजर आ रहे थे. इस दौरान भारतीय कॉन्सुलर अधिकारियों ने खुलकर बात भी नहीं कर सकें. वहीं कुलभूषण से कॉन्सुलर अधिकारी उनके कानूनी अधिकारों को लेकर बात नहीं कर पाए। कानून सहायता उपलब्ध कराने के लिए उनकी सहमति लेने से भी रोका गया.
पाकिस्तान की इन हरकतों के बाद कॉन्सुलर अधिकारी अच्छी तरह से समझ गए कि इस तरह के ऐक्सेस का कोई मतलब नहीं निकलता है. उन्होंने ने माना की ऐसी मुलाकात सार्थक नहीं है. जिसके बाद कुलभूषण जाधव से मिलने गए कॉन्सुलर के अधिकारी अपनी शिकायत दर्ज करवाकर लौट आए. भारत ने पाकिस्तान से बिना रोकटोक कॉन्सुलर एक्सेस की मांग की थी. लेकिन कॉन्सुलर एक्सेस देने के बाद भी पाकिस्तान अपनी चाल चलता गया.
ANI का ट्वीट:-
It was also evident from a camera that was visible that the conversation with Jadhav was being recorded. He was visibly under stress & indicated that clearly to the Consular Officers. The arrangements did not permit a free conversation between them: MEA https://t.co/NkmsBAHIrd
— ANI (@ANI) July 16, 2020
बता दें कि इससे पहले पाकिस्तान ने दावा किया था कि सजा की समीक्षा याचिका दायर करने से भारतीय नौसेना अधिकारी कुलभूषण जाधव ने इनकार कर दिया था. जिसपर भारत ने प्रतिकिया देते हुए इसे एक नाटक करार दिया था.
ANI का ट्वीट:-
In the light of these circumstances, the Indian Consular Officers came to the conclusion that the consular access being offered by Pakistan was neither meaningful nor credible. After lodging a protest, they left the venue: MEA https://t.co/XQ6OJEtvBi
— ANI (@ANI) July 16, 2020
गौरतलब हो कि कुलभूषण जाधव साल 2016 से पाकिस्तान की जेल में हैं. पाकिस्तान आरोप लगाता है कि कुलभूषण जाधव एक जासूस है. हालांकि, भारत की ओर से इस दावे को कई बार नकारा जा चुका है. पाकिस्तान ने मार्च 2016 में जाधव को गिरफ्तार किया था. साल 2017 में भारत ने इस मामले को ICJ में उठाया. 10 जुलाई को ही भारत ने जाधव मामले में कानूनी विकल्पों पर विचार करने की बात कही थी.