Pahalgam Terror Attack: पाकिस्तान को पानी नहीं सिर्फ जवाब, सिंधु जल संधि पर आज रात अहम बैठक करेंगे अमित शाह
HM Amit Shah | PTI

नई दिल्ली: पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ कड़ा रुख अपनाते हुए सिंधु जल संधि (Indus Waters Treaty) खत्म करने का एक्शन प्लान शुरू कर दिया है. इसी को लेकर आज रात एक अहम बैठक बुलाई गई है, जिसकी अध्यक्षता गृह मंत्री अमित शाह करेंगे. इस बैठक में जल शक्ति मंत्री सी.आर. पाटिल भी शामिल होंगे. बैठक को लेकर सुरक्षा और रणनीतिक हलकों में हलचल तेज हो गई है.

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22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के बैसारन घाटी में हुए आतंकी हमले में 26 निर्दोष पर्यटकों की मौत ने पूरे देश को झकझोर दिया. इस हमले को पाकिस्तान में प्रशिक्षित आतंकियों ने अंजाम दिया. हमले के बाद भारत अब एक्शन मोड में है. हमले के बाद घटनास्थल पर राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की टीम पहुंची और क्राइम सीन को रीक्रिएट किया गया.

भारत का सख्त संदेश: अब पानी नहीं, सिर्फ जवाब

भारत सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि अब सिर्फ कड़ी निंदा या कूटनीतिक विरोध नहीं चलेगा, बल्कि पाकिस्तान को उसकी हरकतों की कीमत चुकानी होगी. इसी क्रम में सिंधु जल संधि पर पुनर्विचार की तैयारी हो रही है. यह संधि 1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुई थी, जिसके तहत भारत पाकिस्तान को तीन नदियों का पानी देता है. सिंधु, झेलम और चेनाब. अगर भारत इस संधि को रोकने की दिशा में कोई ठोस कदम उठाता है, तो यह पाकिस्तान के लिए गंभीर जल संकट पैदा कर सकता है.

प्रधानमंत्री मोदी ने दी सेनाओं को खुली छूट

हमले के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लगातार दो हाई लेवल मीटिंग्स की हैं. इनमें कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (CCS) और कैबिनेट कमेटी ऑन पॉलिटिकल अफेयर्स शामिल हैं. प्रधानमंत्री ने तीनों सेनाओं के प्रमुखों, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के साथ मिलकर चर्चा की और सेनाओं को जवाबी कार्रवाई की खुली छूट दी है- "समय, स्थान और लक्ष्य का चयन आप करें."

सीजफायर उल्लंघन का जवाब गोली से

पाकिस्तान ने लगातार छहवीं रात सीज़फायर का उल्लंघन किया है. भारतीय सेना ने भी जवाबी कार्रवाई में पीछे नहीं हटते हुए पाकिस्तानी चौकियों को निशाना बनाया है. एलओसी पर तनाव अपने चरम पर है.

क्या है सिंधु जल संधि का मतलब भारत-पाक रिश्तों में?

सिंधु जल संधि को अब तक भारत की "सद्भावना और संयम की मिसाल" माना जाता रहा है. परंतु बार-बार के आतंकी हमलों के बाद भारत इस संधि को लेकर अब "पुनर्विचार के मोड" में है. अगर इस जल प्रवाह को रोका गया या बदला गया, तो यह पाकिस्तान के लिए न केवल आर्थिक बल्कि सामाजिक संकट खड़ा कर सकता है.