Pahalgam Terror Attack: अहमदाबाद के पर्यटक ऋषि भट्ट ने ज़िपलाइनिंग करते समय अनजाने में गोलीबारी की थी रिकॉर्ड, भयावह घटना किया बयां (देखें वीडियो)
ऋषि भट्ट ने ज़िपलाइनिंग करते समय पहलगाम हमले का बनाया वीडियो (फोटो: X/ @आदित्यराजकौल)

Pahalgam Terror Attack: गुजरात के अहमदाबाद के एक पर्यटक ऋषि भट्ट 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में ज़िपलाइनिंग करते समय एक भयानक आतंकवादी हमले के बीच फंस गए. एक वायरल वीडियो में भट्ट को ज़िपलाइनिंग करते हुए मुस्कुराते हुए देखा जा सकता है, गोलीबारी शुरू होने तक उन्हें आसन्न खतरे का पता नहीं था. समाचार एजेंसी ANI से बात करते हुए भट्ट ने याद किया, "मुझे लगभग 20 सेकंड तक इसका एहसास नहीं हुआ, लेकिन फिर मैंने 5-6 लोगों को गोली लगते देखा." अफरा-तफरी में उन्होंने जल्दी से अपने कपड़े उतारे, अपनी पत्नी और बेटे को बचाया और अन्य भयभीत पर्यटकों के साथ एक गड्ढे में छिप गए. यह भी पढ़ें: Pahalgam Attacks Update: पहलगाम हमले पर बड़ा खुलासा! पाकिस्तानी सेना का पूर्व कमांडो निकला मास्टरमाइंड हाशिम मूसा, ISI के इनपुट पर करता है काम

भट्ट ने भारतीय सेना को उनकी त्वरित प्रतिक्रिया का श्रेय देते हुए कहा कि उन्होंने हमले के 18-20 मिनट के भीतर सभी पर्यटकों को कवर प्रदान किया. उन्होंने ज़िपलाइन ऑपरेटर पर भी संदेह व्यक्त किया, जिसने कथित तौर पर गोलीबारी शुरू होने से पहले "अल्लाहु अकबर" चिल्लाया था. अफरा-तफरी के बावजूद, भट्ट और उनके परिवार को सेना द्वारा सुरक्षित रूप से ले जाया गया, जो हमले के जवाब में बलों द्वारा की गई त्वरित कार्रवाई को उजागर करता है, जिसमें 26 लोग मारे गए थे.

अहमदाबाद के पर्यटक ने कहा कि भारतीय सेना ने 18-20 मिनट के भीतर कवर कर लिया

पर्यटक ने ज़िपलाइनिंग करते समय पहलगाम आतंकी हमले को रिकॉर्ड किया..

अहमदाबाद के एक व्यक्ति ने हवा में ही पहलगाम में हमला रिकॉर्ड किया..

सेना द्वारा हमें कवर दिए जाने के बाद हम सुरक्षित महसूस करने लगे. मैं भारतीय सेना का आभारी हूं. मेरे सामने 9 लोग ज़िपलाइन में थे, लेकिन ऑपरेटर ने कुछ नहीं कहा. जब मैं स्लाइड कर रहा था, तो उसने बात की और फिर गोलीबारी शुरू हो गई. इसलिए, मुझे उस आदमी पर संदेह है. उसने तीन बार 'अल्लाहु अकबर' कहा और फिर गोलीबारी शुरू हो गई. वह एक आम कश्मीरी की तरह लग रहा था. निचले इलाकों में यहां तक ​​कि जंगल में भी सेना की मौजूदगी थी. लेकिन मुख्य स्थान पर कोई सेना अधिकारी नहीं था. मुख्य द्वार पर जम्मू और कश्मीर पुलिस के साथ-साथ तीन सुरक्षा गार्ड भी थे."