SCO बैठक में शामिल होंगे NSA अजित डोभाल, जानें ये बैठक भारत के लिए क्यों है जरूरी
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल (Photo Credits: PTI)

भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल (Ajit Doval) दुशांबे में होने वाली शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की बैठक में आज हिस्सा लेंगे. यह बैठक दो दिनों तक ताजिकिस्तान की राजधानी दुशांबे में आयोजित हो रही है. बैठक में सभी सदस्य देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शामिल होंगे.अफगानिस्तान के एनएसए हमदुल्ला मोहिब, रूसी एनएसए निकोलाई पेत्रुशेव और चीन, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान और उजबेकिस्तान के उनके समकक्षों के भाग लेने की संभावना है। बता दें कि अजीत डोभाल “इन-पर्सन” मीट में शामिल होंगे, फिर वह तुरंत नई दिल्ली में सर्वदलीय बैठक में भाग लेने के लिए वापस आ जाएंगे.

इस मीटिंग का एजेंडा क्या है?

दुशांबे में एनएसए सम्मेलन का मुख्य एजेंडा अफगानिस्तान में अस्थिर स्थिति पर चर्चा करना होगा, जहां तालिबान और दाएश (या आईएसआईएस) द्वारा हमलों की संख्या बढ़ गई है। आपको बता दें, विदेशी सैनिकों की अफगान धरती से वापसी जारी है, इसके बावजूद हमलों की संख्या बढ़ना समझ से परे है. यह भी पढ़े: SOC मीटिंग में पाकिस्तान ने की नपाक हरकत, NSA अजीत डोभाल ने छोड़ी मीटिंग

गौरतलब है कि भारत-पाक के बीच काफी समय से कोई औपचारिक बातचीत नहीं हुई है। इसी साल दोनों देशों के विदेश मंत्री दुशांबे में मिले थे, लेकिन तब दोनों के बीच कोई द्विपक्षीय बातचीत नहीं हुई थी। अब एक बार फिर भारत व पाक के उच्चाधिकारी आमने-सामने होंगे, ऐसे में SCO की बैठक में क्या कुछ होगा इसपर सबकी नजरें टिकी हैं.

शंघाई सहयोग संगठन है क्या

शंघाई सहयोग संगठन जून 2001 में ‘शंघाई फाइव’ के विस्तार के बाद अस्तित्त्व में आया था. गौरतलब है कि ‘शंघाई फाइव’ का गठन रूस, चीन, कजाखस्तान, किर्गिजस्तान और ताजिकिस्तान ने साथ मिलकर वर्ष 1996 में किया था। वर्तमान में विश्व के 8 देश, कजाखस्तान, चीन, किर्गिजस्तान, रूस, ताजिकिस्तान, उज्बेकिस्तान, भारत और पाकिस्तान इस समूह के सदस्य हैं. अफगानिस्तान, ईरान, बेलारूस और मंगोलिया SCO में पर्यवेक्षक (Observer) के रूप में शामिल हैं.

शंघाई सहयोग संगठन चार्टर पर जून 2002 में सेंट पीटर्सबर्ग राष्ट्राध्यक्षों की बैठक के दौरान हस्ताक्षर किए गए थे। यह चार्टर 19 सितंबर 2003 को लागू हुआ. यह मौलिक वैधानिक दस्तावेज है, जो संगठन के लक्ष्यों और सिद्धांतों, साथ ही इसकी संरचना और इसकी रूपरेखा को स्पष्ट बताता है.

SCO के प्रमुख लक्ष्य

सदस्य देशों के बीच आपसी विश्वास को मजबूत करना, राजनीति, व्यापार, अर्थव्यवस्था, अनुसंधान, प्रौद्योगिकी और संस्कृति के साथ-साथ शिक्षा, ऊर्जा, परिवहन, पर्यटन, पर्यावरण संरक्षण और अन्य क्षेत्रों में आपसी प्रभावी सहयोग को बढ़ावा देना इस समूह का प्रमुख उद्देश्य है. क्षेत्र में शांति, सुरक्षा और स्थिरता बनाए रखने और सुनिश्चित करने के लिए भी SCO निरंतर प्रयास करता रहा है.

भारत कब बना इसका सदस्य

2017 में 8-9 जून को अस्ताना में शंघाई सहयोग संगठन के राज्य परिषद के प्रमुखों की बैठक आयोजित की गई थी. इस बैठक में भारत और इस्लामिक गणराज्य पाकिस्तान को संगठन के पूर्ण सदस्य का दर्जा दिया गया.

SCO का महत्व

मात्र दो दशक से भी कम समय में SCO, यूरेशियन क्षेत्र में एक महत्त्वपूर्ण क्षेत्रीय संगठन के रूप में उभरा है। यह समूह यूरेशिया के लगभग 60% से अधिक क्षेत्रफल, वैश्विक आबादी के 40% से अधिक हिस्से और वैश्विक जीडीपी के लगभग एक-चौथाई हिस्से का प्रतिनिधित्त्व करता है। इसके सदस्य देशों में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के दो स्थायी सदस्य और चार परमाणु शक्तियां शामिल हैं, जो इसके महत्व को भलीभांति रेखांकित करते हैं.

यूरेशियन क्षेत्र और इसके परे भी SCO की भूमिका और महत्त्व को देखते हुए कहा जा सकता है कि इस संगठन में शामिल होने से भारत को दीर्घावधि में अधिक लाभ होने की संभावना है। अतः SCO भारत को वर्तमान चुनौतियों का सतर्कतापूर्वक सामना करते हुए अपने राष्ट्रीय हितों को पूरा करने का अवसर प्रदान करता है.

भारत की भूमिका

पिछले साल नवंबर में शंघाई सहयोग संगठन के शासनाध्यक्षों की अध्यक्षता के उज्बेकिस्तान के कार्यकाल के ख़त्म होने के बाद भारत इसका अध्यक्ष बना था. पिछले एक वर्ष के दौरान भारत ने कोविड-19 की भयंकर महामारी का असर अपनी जिम्मेदारियों पर नहीं पड़ने दिया है, इसके उलट भारत ने शंघाई सहयोग संगठन के सदस्य देशों के बीच आर्थिक, वाणिज्यिक और सांस्कृतिक सहयोग बढ़ाने के लिए कई महत्वपूर्ण कार्यक्रम आयोजित किए। अपनी अध्यक्षता के दौरान भारत ने मुख्य तौर पर सहयोग के तीन विषयों पर अपना ध्यान केंद्रित किया: स्टार्ट अप और इनोवेशन, विज्ञान एवं तकनीक और पारंपरिक औषधि विज्ञान.

अपनी अध्यक्षता में भारत ने 24 नवंबर से 28 नवंबर के दौरान, शंघाई सहयोग संगठन के युवा वैज्ञानिकों के पहले कॉनक्लेव का वर्चुअल आयोजन किया था। इसमें 200 से ज्यादा युवा वैज्ञानिक शामिल हुए थे। ये बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि शंघाई सहयोग संगठन के देशों में दुनिया की कुल 7.5 अरब आबादी के 42 प्रतिशत लोग रहते हैं. इनमें से 80 करोड़ लोग युवा हैं। ऐसे में इन देशों के युवाओं के बीच बेहतर समझ और सहयोग इस क्षेत्र की शांति, विकास और समृद्धि के लिए बहुत आवश्यक है.

भारत के लिए क्यों महत्वपूर्ण है SCO

भारत के लिए SCO का सदस्य बने रहने का बसे बड़ा फायदा ये है कि इसके माध्यम से वो मध्य एशिया के देशों के साथ मजबूत संबंध बनाए रख सकता है। भारत की ‘कनेक्ट सेंट्रल एशिया नीति’ को आगे बढ़ाने के लिये SCO एक महत्त्वपूर्ण मंच है। मध्य एशियाई देश हमारे व्यापक पड़ोसी क्षेत्र में आते हैं और हजारों वर्षों से इन देशों के साथ भारत के ऊर्जावान और बहुआयामी संबंध रहे हैं। भारत की सुरक्षा की दृष्टि से भी मध्य एशिया और अफगानिस्तान बेहद महत्वपूर्ण हैं, जो उसकी ऊर्जा संबंधी जरूरतों को भी पूरा करते हैं. इन देशों से संपर्क बढ़ाने से भारत को व्यापार, आर्थिक प्रगति और विकास में सहयोग मिलेगा.