निर्भया के साथ बर्बरता करने वालों की पुनर्विचार याचिका SC ने की ख़ारिज, अब दोषियों के पास ये दो रास्ते
बहरहाल, चारों मुजरिमों के पास फांसी की सजा से बचने के लिए अभी दो और रस्ते बचे हुए हैं. चारों राष्ट्रपति के पास दया याचिका दायर कर सकते है. इसके आलावा सभी क्यूरेटिव पिटिशन भी कर सकते हैं.
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने चर्चित निर्भया सामूहिक बलात्कार मामले में आरोपियों द्वारा दाखिल की गई रिव्यू पिटिशन को ख़ारिज कर दिया है. अदालत ने दोषियों की फांसी की सजा को बरकरार रखा है. चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) दीपक मिश्रा, जस्टिस आर भानुमति और जस्टिस अशोक भूषण की बेंच ने यह फैसला सुनाया है. बता दें कि इस मामले में सजायाफ्ता मुकेश (29), पवन गुप्ता (22) और विनय शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू पिटिशन दाखिल की थी. इस याचिका पर आज फैसला आया है. चौथे आरोपी अक्षय कुमार सिंह (31) ने सुप्रीम कोर्ट के पांच मई 2017 के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर नहीं की है. एक आरोपी राम सिंह ने तिहाड़ जेल में कथित तौर पर आत्महत्या कर ली थी.
बहरहाल, चारों मुजरिमों के पास फांसी की सजा से बचने के लिए अभी भी दो और विकल्प बचे हुए हैं. चारों राष्ट्रपति के पास दया याचिका दायर कर सकते है. इसके अलावा सभी क्यूरेटिव पिटिशन भी कर सकते हैं.
क्यूरेटिव पिटिशन क्या है:
अगर किसी भी व्यक्ति की दया याचिका ख़ारिज हो जाती है तो वह क्यूरेटिव पिटिशन दायर कर सकता है. यह मुजरिम के पास अंतिम मौका होता है. क्यूरेटिव पिटिशन में मुजरिम अपने को मिली सजा में रियायत की मांग करता है.
बता दें कि साल 2012 में निर्भया के साथ साउथ दिल्ली में चलती बस में छह लोगों ने गैंगरेप किया था और गंभीर चोट पहुंचाने के बाद सड़क पर फेंक दिया था. सरकार की ओर से निर्भया को सिंगापुर के माउन्ट एलिजाबेथ अस्पताल भेजा गया था जहां 29 दिसंबर 2012 को इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई थी. इस घिनौने कांड में एक आरोपी नाबालिग था, उसे किशोर न्याय बोर्ड ने दोषी ठहराया और तीन साल के लिए सुधार गृह में रखे जाने के बाद रिहा कर दिया गया था.