Nipah Virus: महाराष्ट्र के महाबलेश्वर में चमगादड़ की दो प्रजातियों में मिला निपाह वायरस, इंसानों के लिए भी है बेहद खतरनाक
पुणे स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वॉयरोलॉजी (एनआईवी) के वैज्ञानिक ने महाराष्ट्र (Maharashtra) में चमगादड़ (Bats) की दो प्रजातियों में जानलेवा निपाह वायरस (Nipah Virus) का पता लगाया है. यह पहली बार है जब महाराष्ट्र में चमगादड़ निपाह वायरस से संक्रमित पाए गए हैं. कोरोना वायरस महामारी के बीच चमगादड़ों में निपाह वायरस का पता चलने से महाराष्ट्र में चिंता बढ़ गई है.
मुंबई: पुणे स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वॉयरोलॉजी (एनआईवी) के वैज्ञानिक ने महाराष्ट्र (Maharashtra) में चमगादड़ (Bats) की दो प्रजातियों में जानलेवा निपाह वायरस (Nipah Virus) का पता लगाया है. यह पहली बार है जब महाराष्ट्र में चमगादड़ निपाह वायरस से संक्रमित पाए गए हैं. कोरोना वायरस महामारी के बीच चमगादड़ों में निपाह वायरस का पता चलने से महाराष्ट्र में चिंता बढ़ गई है, दरअसल इससे होने वाले घातक संक्रमण का अब तक कोई सटीक उपचार नहीं खोजा जा सका है. केरल के मुख्यमंत्री ने निपाह वायरस से लड़ते हुए जान गंवाने वाली नर्स को याद किया
वैज्ञानिकों ने महाराष्ट्र के सतारा (Satara) जिले के महाबलेश्वर (Mahabaleshwar) की गुफा से पिछले साल मार्च में चमगादड़ पकड़े थे. जांच में 33 लेसचेनौल्टी (Leschenaultii) और 1 पिपिस्ट्रेलस (Pipistrellus) चमगादड़ में निपाह वायरस पाया गया. टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, एनआईवी टीम ने 65 लेसचेनौल्टी और 15 पिपिस्ट्रेलस चमगादड़ों को पकड़ा था और शोध के लिए रक्त, गले और मलाशय के स्वाब एकत्र किए थे.
यह निष्कर्ष हाल ही में "जर्नल ऑफ इंफेक्शन एंड पब्लिक हेल्थ" (Journal of Infection and Public Health) में प्रकाशित हुआ, जिसके बाद चमगादड़ों के निपाह (एनआईवी) वायरस से संक्रमित होने की बात का पता चला. शोध पत्र में कहा गया है पिछले दशक के दौरान कई बार जांच के बावजूद लेसचेनौल्टी चमगादड़ों में एनआईवी (NiV) एक्टिविटी का पता नहीं चला.
गौरतलब है कि निपाह वायरस मुख्यत चमगादड़ के संपर्क में आने अथवा चमगादड़ के झूठे फल आदि खाने से होता है. विश्व स्वास्थ संगठन (WHO) की तरफ से चेताया गया है कि भारत और आस्टेलिया में इस वायरस के फैलने की अधिक संभावनाएं हैं. चिकित्सा शोध से पता चलता है कि संक्रमण के 48 घंटे के भीतर यह व्यक्ति को कोमा में पहुंचा देती है. इसकी जद में जो भी व्यक्ति आता है उसे सांस लेने में दिक्कत के साथ सिर में भयानक पीड़ा और तेज बुखार होता है.
रिपोर्ट्स के अनुसार, निपाह वायरस की पहचान 1998 में सबसे पहले मलेसिया में हुई थी. उस वक्त इस बीमारी की चपेट में 250 से अधिक लोग आए थे. 40 फीसदी से अधिक लोगों की मौत हो गई थी. अभी तक बीमारी से लड़ने के लिए देश में किसी भी प्रकार के टीके या वैक्सीन का इजाद नहीं हुआ है. वायरस की जांच के लिए सिर्फ पुणे में एक प्रयोगशाला है. वहीं, बीते कुछ सालों से केरल के कुछ जिलों में निपाह वायरस की चपेट में आने से दर्जनभर से अधिक लोग जान गंवा चुके है.