UCC पर मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने मांगा और समय, लॉ कमीशन से कहा- 'एक महीना काफी नहीं'
AIMPLB ने लॉ कमीशन को चिट्ठी लिखकर राय देने के लिए छह महीने का समय मांगा है. लॉ कमीशन ने 14 जून को सभी हितधारकों और धार्मिक संगठनों से यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) को लेकर विचार मांगे थे.
Muslim Personal Law Board On UCC: समान नागरिक संहिता (UCC) को लेकर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने बैठक की. इसके बाद AIMPLB ने लॉ कमीशन को चिट्ठी लिखकर राय देने के लिए छह महीने का समय मांगा है. लॉ कमीशन ने 14 जून को सभी हितधारकों और धार्मिक संगठनों से यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) को लेकर विचार मांगे थे.
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के जनरल सेक्रेटरी मोहम्मद फजलुर रहीम मुजद्दीदी ने कहा- हम आपसे राय देने के समय को कम से कम 6 महीने तक बढ़ाने का अनुरोध करते हैं. ऐसा इसलिए ताकि लोग, धार्मिक संगठन और हितधारक विचार दे सकें. लेटर में मोहम्मद फजलुर रहीम मुजद्दीदी ने लिखा कि यूसीसी का मुद्दा अचानक से इतना बड़ा कैसे बन गया, जबकि कमीशन बार-बार कहता रहा है कि यूसीसी की जरूरत नहीं है. UCC Explainer: क्या है कॉमन सिविल कोड, जिसे ब्रह्मास्त्र की तरह इस्तेमाल करना चाहती है BJP, आखिऱ क्यों हो रहा इसका विरोध
यूनिफॉर्म सिविल कोड क्या है
यूनिफॉर्म सिविल कोड का मतलब है कि हर धर्म, जाति, संप्रदाय, वर्ग के लिए पूरे देश में एक ही नियम. इसके तहत सभी धार्मिक समुदायों के लिए विवाह, तलाक, विरासत, गोद लेने के नियम एक ही होंगे.
भारत जैसे विविधता वाले देश में इसको लागू करना इतना आसान नहीं है. देश का संविधान सभी को अपने-अपने धर्म के मुताबिक जीने की पूरी आजादी देता है. संविधान के अनुच्छेद-25 में कहा गया है कि कोई भी अपने हिसाब धर्म मानने और उसके प्रचार की स्वतंत्रता रखता है.
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का मानना है कि UCC मुसलमानों पर हिंदू धर्म थोपने जैसा है. अगर इसे लागू कर दिया जाए तो मुसलमानों को तीन शादियों का अधिकार नहीं रहेगा. शरीयत के हिसाब से जायदाद का बंटवारा नहीं होगा.