मुंबई: एक जोड़े ने सरोगेसी से जन्मे बच्चे का डीएनए टेस्ट कराने की हाई कोर्ट से मांगी परमिशन

एक निसंतान दंपत्ति जो हाल ही में एग डोनर और पति के स्पर्म के सरोगेसी के जरिए मां बाप बने हैं, उन्होंने बॉम्बे हाईकोर्ट से सरोगेसी के जरिए जन्मे बच्चे का डीएनए टेस्ट करवाने की मांग की है. उन्होंने बॉम्बे हाईकोर्ट को बताया कि वे बच्चे का डीएनए टेस्ट इसलिए करवाना चाहते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि अस्पताल में बच्चे के साथ अदला बदली की गई है.

प्रतीकात्मक तस्वीर, (Photo Credits: Pixabay)

मुंबई: एक निसंतान दंपत्ति जो हाल ही में एग डोनर और पति के स्पर्म के सरोगेसी के जरिए मां बाप बने हैं, उन्होंने बॉम्बे हाईकोर्ट से सरोगेसी के जरिए जन्मे बच्चे का डीएनए टेस्ट करवाने की मांग की है. उन्होंने बॉम्बे हाईकोर्ट को बताया कि वे बच्चे का डीएनए टेस्ट इसलिए करवाना चाहते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि अस्पताल में बच्चे के साथ अदला बदली की गई है. जोड़े ने यह भी कहा कि डीएनए टेस्ट नेगेटिव आने पर भी वे बच्चे की देखभाल करेंगे और उसे नहीं छोड़ेंगे. इस जोड़े को शादी के सात साल बाद एक बच्चा हुआ, बॉम्बे हाई कोर्ट ने शुक्रवार को दंपती को हलफनामा दाखिल करने का समय दिया. अदालत ने दंपति को यह लिखित में देने का निर्देश दिया है कि वे डीएनए परीक्षण के परिणाम नकारात्मक होने पर भी बच्चे की परवरिश जारी रखेंगे.

जोड़े ने कहा कि हालांकि बच्चा उनके लिए बहुत खुशी लेकर आया था, लेकिन डॉक्टरों के व्यवहार के कारण उन्हें संदेह हो गया. द टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार बॉम्बे हाईकोर्ट की बेंच ने कलिना में स्टेट फॉरेंसिक साइंस लैबोरेटरी को निर्देश दिया था. रिपोर्ट में कहा गया है कि दंपति की याचिका में अस्पताल या डॉक्टरों का नाम नहीं है. लेकिन याचिका में उल्लेख किया गया है कि सरोगेसी उपचार के संबंध में डॉक्टर की सिफारिश के बाद उसने मुंबई के एक अस्पताल की मदद ली थी.

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इस दंपति ने कहा कि उन्हें सरोगेसी हाउस में जाने की अनुमति नहीं थी, लेकिन वह केवल डॉक्टर के क्लिनिक में ही मां को देख सकते थे. दंपति ने दावा किया कि उन्हें डर है कि उनके बच्चे की अदला बदली हुई है और इसमें डॉक्टर्स मिले हुए हैं.

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