नई दिल्ली: लोकतंत्र का मंदिर कहे जानेवाले संसद भवन का आगामी सत्र बेहद खास होगा. दरअसल राज्यसभा सांसद अब 22 भाषाओं में सवाल और जवाब कर सकेंगे. पहले सांसद यहां 17 भाषाओं का इस्तेमाल करते थे. बता दें की इस बार मानसून सत्र 18 जुलाई से शुरू होगा.
जिन पांच और भाषाओ को जोड़ा गया है उनमें डोगरी, कश्मीरी, कोंकणी, संथाली और सिंधी भाषा शामिल हैं. एम वेंकैया नायडू ने जब सभापति का पद संभाला था, तब उन्होंने कहा था कि संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल सभी 22 भाषाओं में सांसदों को बोलने की व्यवस्था की जाएगी ताकि वह अपने विचारों को बेहतर तरीके से रख सकें.
नायडू ने मंगलवार को औपचारिक रूप से इन भाषाओं के लिए अनुवादकों को अनुवादक टीम में शामिल किया. 22 भाषाओं में राज्यसभा में पहले से ही 11 भाषाओं असम, बंगाली, गुजराती, हिंदी, कन्नड़, मलयालम, मराठी, उड़िया, पंजाबी, तमिल, तेलगु और उर्दू में अनुवादक की व्यवस्था है.
जबकि, बोडो, मैथली, मणीपुरी, मराठी, नेपाली भाषाओं में लोकसभा के अनुवादकों की व्यवस्था की जा रही है. उन्होंने कहा, "मैं हमेशा महसूस करता हूं कि मातृभाषा बिना किसी अवरोध के हमारे अनुभवों और विचारों को व्यक्त करने का स्वाभाविक माध्यम होती है. संसद में बहुभाषी व्यवस्था के तहत, सदस्यों को भाषा की बाधाओं की वजह से अपने आप को दूसरे से कम नहीं आंकना चाहिए."
उन्होंने कहा, "इसलिए मैं सभी 22 भाषाओं में अनुवाद सुविधा मुहैया कराना चाहता था. मैं खुश हूं कि आगामी मानसून सत्र में यह वास्तविकता बनेगा."
इससे पहले मानसून सत्र को सुचारु रूप से चलाने के लिए लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन ने सभी सांसदों को पत्र लिखा था. उन्होंने अपने पत्र में लिखा, "लोकसभा का 16वां कार्यकाल अपने अंतिम वर्ष में प्रवेश कर चुका है और अब केवल तीन सत्र शेष हैं. समय सीमित है लेकिन बहुत सारा जरूरी कार्य अब भी अधूरा है. वक्त केवल मानसून और शीतकालीन सत्र के दौरान ही उपलब्ध होता है." गौरतलब है कि इस बार मानसून सत्र 18 जुलाई से शुरू होगा.