मोदी: महिलाओं की सुरक्षा राज्य सरकारों की जिम्मेदारी
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit: Image File)

भारत के 78वें स्वतंत्रता दिवस पर दिए अपने भाषण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महिला सुरक्षा की बात की. उन्होंने कहा कि महिलाओं की सुरक्षा को लेकर समाज में आक्रोश है और राज्य सरकारों को इसे गंभीरता से लेने की जरूरत है.प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार, 15 अगस्त को लाल किले की प्राचीर से अपना 11वां स्वतंत्रता दिवस भाषण दिया. संबोधन में उन्होंने कई विषयों का जिक्र किया, जिनमें महिलाओं की सुरक्षा का विषय भी शामिल था.

हाल ही में कोलकाता में एक महिला डॉक्टर के बलात्कार और हत्या के बाद महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराध को लेकर देश में एक बार फिर चिंता और आक्रोश का माहौल है. मोदी ने विशेष रूप से इस घटना का जिक्र नहीं किया, लेकिन कहा कि महिलाओं की सुरक्षा के विषय पर देश में आक्रोश है.

"सजा का डर बनाना जरूरी है"

हालांकि उन्होंने इस मामले में राज्य सरकारों की जिम्मेदारी को रेखांकित किया. उन्होंने कहा, "देश, समाज और राज्य सरकारों को इस मुद्दे को अत्यावश्यकता के साथ संबोधित करना चाहिए. महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामलों की तेजी से जांच की जानी चाहिए और इन भयावह कार्यों के लिए जिम्मेदार लोगों को बिना किसी देर के कड़ी सजा दी जानी चाहिए."

उन्होंने यह भी कहा कि जब महिलाओं के खिलाफ हिंसा की घटनाएं होती हैं तो मीडिया में बहुत चर्चा होती है, लेकिन जब ऐसे लोगों को सजा होती है तो यह समाचारों में प्रमुखता से नहीं दिखाया जाता. उन्होंने कहा कि समय की मांग है कि सजाओं पर भी व्यापक रूप से चर्चा हो ताकि अपराधी डरें, इस डर को बनाना जरूरी है.

प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में अन्य कई विषयों का जिक्र किया. पड़ोसी देश बांग्लादेश के हालात पर चिंता जताते हुए उन्होंने कहा, "मुझे उम्मीद है कि जल्द ही बांग्लादेश में स्थिति सामान्य हो जाएगी. भारत के 140 करोड़ लोग चाहते हैं कि वहां हिंदू और अल्पसंख्यक सुरक्षित रहें. हम चाहते हैं कि हमारे पड़ोसी देश शांति और खुशी का रास्ते पर आगे बढ़ें. हम बांग्लादेश के शुभचिंतक बने रहेंगे."

मोदी ने हाल ही में देश के कई हिस्सों में आई प्राकृतिक आपदाओं के बारे में भी बात की, इन आपदाओं से प्रभावित होने वालों के प्रति सहानुभूति व्यक्त की और उन्हें भरोसा दिलाया कि भारत सरकार उनके साथ खड़ी है.

"75 साल से कम्युनल सिविल कोड"

उन्होंने सिविल कोड के विषय का भी जिक्र किया और कहा, "देश का एक बड़ा वर्ग मानता है, और उसमें सच्चाई भी है, कि जिस सिविल कोड को लेकर हम जी रहे हैं वो एक प्रकार का कम्युनल सिविल कोड है, भेदभाव करने वाला सिविल कोड है."

उन्होंने कहा कि सिविल कोड संविधान निर्माताओं की भावना भी थी और सुप्रीम कोर्ट भी इसके बारे में बार-बार कहता रहता है.

मोदी ने कहा कि इस विषय पर देश में व्यापक चर्चा होनी चाहिए और ऐसे कानून जो धर्म के आधार पर देश को बांटते हों, ऐसे कानूनों का आधुनिक समाज में कोई स्थान नहीं होना चाहिए. उन्होंने जोर देकर कहा, "समय की मांग है कि देश में एक सेक्युलर सिविल कोड हो."

प्रधानमंत्री ने अन्य विषयों में देश के सभी चुनाव एक साथ कराए जाने की योजना का एक बार फिर जिक्र किया. उन्होंने कहा, "मैं राजनीतिक समुदाय को 'वन नेशन, वन इलेक्शन' के आइडिया का समर्थन करने का आग्रह करता हूं...बार-बार चुनाव होने से देश में निष्क्रियता पैदा होती है. आज हर योजना और पहल चुनावी चक्र से प्रभावित लगता है और हर कदम राजनीतिक कारणों के रंग में रंगा होता है."