Maharashtra Metro Project: महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों के नज़दीक आते ही मोदी सरकार ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए महाराष्ट्र के लिए दो बड़े मेट्रो परियोजनाओं को मंज़ूरी दी है. इन परियोजनाओं की कुल लागत 15,154.53 करोड़ रुपये है. इस फैसले को राजनीतिक गलियारों में आगामी चुनावों के मद्देनज़र एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है.
ठाणे इंटीग्रल रिंग मेट्रो रेल परियोजना
इनमें से एक परियोजना ठाणे इंटीग्रल रिंग मेट्रो रेल परियोजना है, जो 29 किलोमीटर लंबे मार्ग पर फैली होगी और इसकी लागत 12,200.10 करोड़ रुपये होगी. यह मेट्रो लाइन ठाणे शहर के पश्चिमी हिस्से के किनारे-किनारे चलेगी, जिसमें कुल 22 स्टेशन होंगे. इस नेटवर्क के एक तरफ उल्हास नदी और दूसरी तरफ संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान होगा. इस परियोजना को 2029 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है, और इसमें भारत सरकार और महाराष्ट्र सरकार द्वारा समान रूप से निवेश किया जाएगा. इसके अतिरिक्त, कुछ धनराशि द्विपक्षीय एजेंसियों से भी प्राप्त होगी और स्टेशन नाम और कॉर्पोरेट क्षेत्र के लिए एक्सेस राइट्स बेचकर, संपत्ति का मुद्रीकरण करके भी धन जुटाया जाएगा. इस मेट्रो परियोजना से 2029, 2035, और 2045 में क्रमशः 6.47 लाख, 7.61 लाख, और 8.72 लाख यात्री प्रतिदिन सफर करेंगे, ऐसा अनुमान है.
पुणे मेट्रो परियोजना का विस्तार
दूसरी परियोजना पुणे मेट्रो परियोजना का विस्तार है, जिसमें स्वारगेट से कात्रज तक की भूमिगत लाइन का विस्तार शामिल है. इस परियोजना की कुल लंबाई 5.46 किलोमीटर होगी और इसकी लागत 2954.53 करोड़ रुपये होगी. यह विस्तार तीन भूमिगत स्टेशनों के साथ स्वारगेट मल्टीमॉडल हब को जोड़ेगा, जिसमें मेट्रो स्टेशन, MSRTC बस स्टैंड, और PMPML बस स्टैंड शामिल हैं. यह नया विस्तार पुणे के दक्षिणी हिस्से को शहर के उत्तरी, पूर्वी और पश्चिमी हिस्सों से जोड़ने में मदद करेगा.
इन परियोजनाओं की मंजूरी ऐसे समय पर आई है जब महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव की आहट सुनाई दे रही है. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह घोषणा चुनाव आचार संहिता लागू होने से पहले की गई है. मौजूदा गठबंधन महायुति को सत्ता में वापसी के लिए अपनी स्थिति मजबूत करने की ज़रूरत है, क्योंकि पिछले लोकसभा चुनावों में MVA गठबंधन ने 30 सीटें जीती थीं और 150 से अधिक विधानसभा क्षेत्रों में महायुति से अधिक वोट प्राप्त किए थे.
इस प्रकार, इन मेट्रो परियोजनाओं के ज़रिए महाराष्ट्र के बुनियादी ढांचे को सुधारने का प्रयास किया जा रहा है, जो न सिर्फ़ शहरों की कनेक्टिविटी को बढ़ाएगा बल्कि चुनावी माहौल में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है.