नई दिल्ली: महाराष्ट्र में 65 हजार करोड़ रुपये की लागत से एक नया बंदरगाह विकसित किया जाएगा। बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिपरिषद ने इस प्रस्ताव को मंजूरी दी। वधावन बंदरगाह के विकास के बाद भारत विश्व के शीर्ष 10 कंटेनर बंदरगाह वाले देशों में शामिल हो जाएगा। महाराष्ट्र में देश का सबसे बड़ा कंटेनर बंदरगाह जेएनपीटी में है। यह महाराष्ट्र, उत्तर कर्नाटक, तेलंगाना के अंतक्ष्रेत्र और गुजरात, मध्यप्रदेश, राजस्थान, एनसीआर, पंजाब और उत्तर प्रदेश के द्वितीयक अंतक्ष्रेत्रों की जरूरतों को पूरा करता है.
विश्व के सबसे बड़े कंटेनर जहाजों के रखरखाव के लिए डीप ड्राफ्ट बंदरगाह की जरूरत है, जो 10 मिलियन टीईयू की योजित क्षमता का पूरा उपयोग किए जाने के बाद जेएनपीटी बंदरगाह से अधिप्लावन यातायात की जरूरतों को भी पूरा करे.जेएनपीटी बंदरगाह और मुंद्रा देश के दो सबसे बड़े कंटेनर रखरखाव (केवल मध्यम आकार के कंटेनर जहाजों के लिए) करने वाले बंदरगाह हैं. इनकी ड्राफ्ट क्रमश: 15 मीटर और 16 मीटर है, जबकि दुनिया के सबसे बड़े कंटेनर रखरखाव करने वाले आधुनिक डीप ड्राफ्ट बंदरगाह के लिए 18एम से 20 एम के ड्राफ्ट की जरूरत है.
तट के निकट वधावन बंदरगाह में प्राकृतिक ड्राफ्ट लगभग 20 मीटर है, जिससे इस बंदरगाह पर बड़े जहाजों के रखरखाव की संभावना है.वधावन बंदरगाह का विकास 16,000 से 25,000 टीईयू क्षमता के कंटेनर जहाजों को आमंत्रित करने में समर्थ बनाएगा. इससे अर्थव्यवस्थाओं के स्तर में बढ़ोतरी और लॉजिस्टिक लागत कम होने के लाभ मिलेंगे. कैबिनेट ने अपने फैसले में बताया कि इस नए बंदरगाह को भू-स्वामित्व मॉडल में विकसित किया जाएगा.
इसकी लागत 65,544 हजार करोड़ रुपये रहने की उम्मीद है। जवाहरलाल नेहरू पोर्ट के साथ एक शीर्ष भागीदार के रूप में एक स्पेशल पर्पज व्हिकल (एसपीवी) स्थापित किया जाएगा। जेएनपीटी की इस परियोजना को लागू करने में इक्विटी भागीदारी 50 प्रतिशत के बराबर या इससे अधिक होगी.एसपीवी अंतक्ष्रेत्र के साथ कनेक्टिविटी स्थापित करने के अलावा भूमि सुधार, ब्रेक वॉटर के निर्माण सहित बंदरगाह बुनियादी ढांचे का विकास करेगा। सभी व्यापारिक गतिविधियां निजी ड्वेलेपर्स द्वारा पीपीपी मोड के तहत की जाएंगी. कैबिनेट ने अपने निर्णय में कहा कि जवाहरलाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट (जेएनपीटी) भारत में सबसे बड़ा है.
इसका विश्व में 28वां स्थान है तथा इसका यातायात 5.1 मिलियन टीईयू (20-फुट इक्वेलेंट यूनिट्स) है. वर्ष 2023 तक 10 मिलियन टीईयू की क्षमता वृद्धि करने वाले चौथे टर्मिनल के पूरा होने के बाद भी जवाहरलाल नेहरू पोर्ट विश्व में 17वां सबसे बड़ा कंटेनर पोर्ट होगाकंटेनर जहाजों के लगातार बढ़ रहे आकार के कारण भारत के पश्चिमी तट पर डीप ड्राफ्ट बंदरगाह का विकास करना अत्यंत आवश्यक हो जाता है। जेएनपीटी अंतक्ष्रेत्र में कंटेनर यातायात 2020-25 तक मौजूदा 4.5 एमटीईयू से बढ़कर 10.1 एमटीईयू पहुंचने की उम्मीद है.