कोलकाता (Kolkata) में शारदा चिटफंड (Saradha Chit Fund ) और रोज वैली मामले को लेकर ममला बनर्जी (Mamata Banerjee) सरकार और सीबीआई (CBI) ठनी हुई है. मामला उस वक्त और भी तूल पकड़ लिया जब कोलकाता पुलिस ने सीबीआई को ही हिरासत में ले लिया. यह घटना इतने पर ही नहीं थमा बल्कि यहां से सियासी ड्रामा शुरू हो गया. सीबीआई की कर्रवाई से नाराज पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री धरने पर बैठ गई हैं तो वहीं सीबीआई जिस कमिश्नर राजीव कुमार (commissioner Rajeev Kumar) से पूछताछ करने गई थी वे भी धरने पर बैठ गई हैं. आइए जाने कौन हैं ये पुलिस ऑफिसर कौन है जिसके समर्थन में खुद ममता बनर्जी उतर आईं हैं.
राजीव कुमार, इस समय कोलकाता पुलिस आयुक्त हैं. वे 1989 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं. राजीव कुमार मूल रूप से यूपी के चंदौसी के रहने वाले हैं. बताते हैं कि उनके पिता आनंद कुमार चंदौसी के एसएम कॉलेज में प्रोफेसर थे. राजीव कुमार 2013 में सारदा और रोज़ वैली चिटफंड घोटाले की जांच के लिए बनाई गई SIT के चीफ़ रहे. राजीव कुमार को पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी का करीबी माना जाता है. सूबतों से छेड़छाड़ की. CBI इन्हीं चिटफंड घोटाले के सिलसिले में उनसे पूछताछ करने पहुंची थी. सूबतों से छेड़छाड़ की. CBI इन्हीं चिटफंड घोटाले के सिलसिले में उनसे पूछताछ करने पहुंची थी.
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क्या है शारदा चिट फंड घोटाला?
पश्चिम बंगाल का चर्चित चिटफंड घोटाला 2013 में सामने आया था. कथित तौर पर तीन हजार करोड के इस घोटाले का खुलासा अप्रैल 2013 में हुआ था. आरोप है कि शारदा ग्रुप की कंपनियों ने गलत तरीके से निवेशकों के पैसे जुटाए और उन्हें वापस नहीं किया. इस घोटाले को लेकर पश्चिम बंगाल सरकार पर सवाल उठे थे. शारदा समूह द्वारा 10 लाख से अधिक निवेशकों को ठगने का अनुमान है. इस घोटाले से 3,000 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान होने की संभावना है.
अप्रैल में बालासोर और ओडिशा में सैकड़ों निवेशकों ने समूह पर आरोप लगाया था कि उच्च लाभ का वादा कर उनसे पैसा लिया गया था, जिसे पूरा नहीं किया गया. इसके बाद ओडिशा में इस मामले की जांच शुरू हुई थी. ईडी अब तक शारदा की छह संपत्तियों की कुर्की कर चुका है, जिसकी कीमत 500 करोड़ रुपये है. एक्टर से राजनीतिज्ञ बने तृणमूल कांग्रेस के सांसद मिथुन चक्रवर्ती ब्रांड एंबेस्डर के तौर पर सारदा कंपनी से लिए गए 1.20 करोड़ रुपये पहले ही ईडी को सौंप चुके हैं.