जाकिर नाइक को पनाह देना पड़ा भारी? मलेशियाई PM महातिर मोहम्मद ने भारत के लिए कही ये बड़ी बात
जाकिर नाईक और महातिर मोहम्मद (Photo Credits: Facebook)

कुआलालंपुर: नागरिकता कानून तथा कश्मीर के मुद्दे (आर्टिकल 370) पर मलेशिया (Malaysia) की तीखी टिप्पणीयों के बीच भारत द्वारा उठाए गए कदम का बड़ा असर दिखाई देने लगा है. मलयेशियन प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद (Mahathir Mohamad) ने सोमवार को कहा कि मलेशिया भारत को उनके पाम तेल के बहिष्कार का जवाब देने के लिए बहुत छोटा है. इसलिए हमें इससे उबरने का तरीका और साधन ढूंढना होगा. दरअसल मोदी सरकार ने आठ जनवरी से मलेशिया के रिफाइंड पाम तेल के आयात पर अंकुश लगा दिया है. जिसका बड़ा असर मलेशिया पर पड़ने की पूरी उम्मीद है.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक वाणिज्य मंत्रालय ने खाद्य तेल उद्योग के अंशधारकों के साथ एक विस्तृत बैठक की और उन्हें अनौपचारिक रूप से मलेशियाई पाम तेल की खरीद करने से बचने को कहा है. बताया जा रहा है कि इस कदम से पिछले हफ्ते फ्यूचर मार्केट में बेंचमार्क मलयेशियाई पाम ऑइल का दाम 10 प्रतिशत तक गिर गया. कश्मीर मसले पर बयान देना मलेशिया को पड़ा भारी, तेल आयात के नए सौदे को किया बंद

दुनिया में वनस्पति तेलों का भारत सबसे बड़ा आयातक है. हर साल लगभग 1.5 करोड़ टन खाद्यतेल खरीदता है. इसमें से पाम तेल का हिस्सा करीब 90 लाख टन और बाकी 60 लाख टन हिस्सा सोयाबीन तेल और सूरजमुखी तेल का हैं. इसमें से मलेशिया से 30 प्रतिशत पामतेल का आयात होता है, जबकि इंडोनेशिया से 70 प्रतिशत आयात होता है.

मलेशिया द्वारा नागरिकता संशोधन कानून और कश्मीर मुद्दे पर बयान के बाद यह कदम उठाया गया है. मलेशिया के प्रधानमंत्री महातिर बिन मोहम्मद ने पिछले साल 20 दिसंबर को कहा था, ‘‘मुझे यह देखकर खेद है कि भारत, जो एक धर्मनिरपेक्ष राज्य होने का दावा करता है, अब कुछ मुसलमानों को उनकी नागरिकता से वंचित करने की कार्रवाई कर रहा है.’’

इसके अलावा, मलेशिया ने विवादित इस्लामिक धर्मगुरु जाकिर नाइक को स्थायी निवासी का दर्जा खत्म करने की भारत की अपील को भी नहीं माना है. जाकिर नाइक के खिलाफ भारत में मनी लॉन्ड्रिंग समेत कई मामले दर्ज है. इसके बावजूद उसे मलेशिया ने अपने यहां पिछले तीन साल से शरण दी है. (एजेंसी इनपुट के साथ)