पूर्वोत्तर में उग्रवाद, सीमा विवाद सहित नक्सल विरोधी अभियान में मिली बड़ी सफलता : गृह मंत्रालय
पूर्वोत्तर में उग्रवाद, सीमा विवाद और नक्सल प्रभावित इलाकों में चलाए जा रहे अभियानों में सुरक्षा बलों को बड़ी सफलता हासिल हुई है. ये केंद्रीय गृह मंत्रालय की वर्षांत रिपोर्ट में कहा गया है.
नई दिल्ली, 4 जनवरी : पूर्वोत्तर में उग्रवाद, सीमा विवाद और नक्सल प्रभावित इलाकों में चलाए जा रहे अभियानों में सुरक्षा बलों को बड़ी सफलता हासिल हुई है. ये केंद्रीय गृह मंत्रालय की वर्षांत रिपोर्ट में कहा गया है. रिपोर्ट में बताया गया है कि बांग्लादेश के साथ भूमि सीमा विवाद, असम-मेघालय सीमा विवाद सहित उग्रवादी संगठनों के साथ युध्द विराम और नक्सल प्रभावित इलाकों में मिली सफलता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के दृष्टिकोण और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के कुशल मार्गदर्शन का परिणाम है. गृह मंत्रालय ने रिपोर्ट में बताया कि बांग्लादेश के साथ भूमि सीमा विवाद जैसी कई समस्याएं थीं, जिन्हें समझौतों के जरिए सुलझाया गया. इसके अलावा ब्रू-रियांग पैक्ट, बोडो पैक्ट और आठ विद्रोही समूहों के साथ समझौते किए गए. इसके तहत लगभग 3000 उग्रवादियों ने हथियार डालकर समाज की मुख्यधारा में प्रवेश किया है और आज ये युवा देश के विकास में लगे हुए हैं.
गृह मंत्रालय ने बताया कि असम और मेघालय के बीच बहुत कम समय में 12 में से 6 मुद्दों का समाधान हो गया है और दोनों राज्यों के बीच लगभग 70 प्रतिशत सीमा विवाद सुलझ गया है. यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शांतिपूर्ण और समृद्ध पूर्वोत्तर के ²ष्टिकोण को पूरा करने और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के कुशल मार्गदर्शन का परिणाम है. रिपोर्ट के मुताबिक एनएससीएन/एनके और एनएससीएन/आर के साथ 28 अप्रैल, 2022 से 27 अप्रैल, 2023 तक और एनएससीएन/के के साथ 18 अप्रैल, 2022 से 17 अप्रैल, 2023 तक युद्धविराम समझौते को एक वर्ष की अवधि के लिए विस्तारित करने का निर्णय लिया गया. वहीं आदिवासी आबादी वाले क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे के विकास के लिए पांच साल की अवधि में 1,000 करोड़ रुपये (भारत सरकार और असम सरकार प्रत्येक द्वारा 500 करोड़ रुपये) का एक विशेष विकास पैकेज प्रदान किया जाएगा.
गृह मंत्रालय की रिपोर्ट में बताता गया कि वामपंथी उग्रवाद की हिंसा में भारी कमी देखी गई है. देश में वामपंथी उग्रवाद से संबंधित हिंसा में 77 फीसदी की गिरावट आई है, जो 2009 में 2258 घटनाओं के अब तक के उच्चतम स्तर से 2021 में 509 हो गई है. इसी तरह, परिणामी मौतों (नागरिक प्लस सुरक्षा बलों) में 85 फीसदी की गिरावट आई है. वहीं पिछले दो वर्षों में वामपंथी उग्रवादी हिंसा की घटनाओं और इसके परिणामस्वरूप होने वाली मौतों में क्रमश: 24 फीसदी और 27 फीसदी की कमी आई है.
गृह मंत्रालय के मुताबिक वर्ष 2022 में वामपंथी उग्रवादियों के खिलाफ लड़ाई में सुरक्षाबलों को ऑपरेशन ऑक्टोपस, ऑपरेशन डबल बुल, ऑपरेशन चक्रबंध में अभूतपूर्व सफलता हासिल हुई है. इसी कड़ी में छत्तीसगढ़ में 7 माओवादी मारे गए और 436 ने गिरफ्तार/आत्मसमर्पण किया है. वहीं झारखंड में 4 माओवादी मारे गए और 120 गिरफ्तार/आत्मसमर्पण किए गए. इसके अलावा बिहार में 36 माओवादियों को गिरफ्तार/आत्मसमर्पण किया गया. इसी तरह मध्य प्रदेश में भी सुरक्षाबलों ने 3 माओवादियों को मार गिराया है.