उद्धव ठाकरे बनेंगे महाराष्ट्र के अगले मुख्यमंत्री: जानिए मातोश्री से वर्षा तक का उनका सफर
शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ( फोटो क्रेडिट- PTI )

मुंबई:- शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के महाराष्ट्र के नए मुख्यमंत्री बनने की राह अब बिल्कुल साफ हो गई है. महा विकास अघाड़ी ने उद्धव ठाकरे को सर्वसम्मति से अपना नेता चुन लिया है. 28 नवंबर को उद्धव ठाकरे शिवाजी पार्क में शाम के 5 बजे मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे. उद्धव ठाकरे ने अपने पिता बालासाहेब ठाकरे के दौर से चली आ रही बीजेपी से युति वाली सरकार से नाता तोड़ दिया है. उन्होंने महा विकास अघाड़ी जो एनसीपी-शिवसेना पर कांग्रेस के युति से बनी है अब उसका हिस्सा बन गए हैं. लगातार राज्य चल रही सियासी उठापटक के बीच उद्धव ठाकरे बीजेपी को पछाड़ दिया और अब नई सरकार बनाने जा रहे हैं. वैसे तो आज उद्धव ठाकरे की छवि एक कद्दावर नेता के तौर पर बन गई है. शिवसेना के संस्थापक बालासाहेब ठाकरे ने कभी कोई चुनाव नहीं लड़ा था. ठीक उद्धव भी अपने पिता की राह पर चल रहे थे. लेकिन ऐसा पहली बार होने जा रहा है जब ठाकरे परिवार से कोई मुख्यमंत्री बनने जा रहा हो.

बता दें कि ठाकरे परिवार से उद्धव पहले ऐसे शख्स हैं जिसने कभी कोई चुनाव नहीं लड़ा. अगर उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री बनते हैं तो उन्हें छह महीने के भीतर विधानसभा या विधान परिषद का चुनाव लड़कर जीतना होगा. इसी के साथ उद्धव ठाकरे का नाम शिवसेना के तीसरे मुख्यमंत्री के तौर पर दर्ज हो जाएगा. इससे पहले शिवसेना से मनोहर जोशी और नारायण राणे मुख्यमंत्री बन चुके हैं. लेकिन आज जिस उद्धव ठाकरे को लोग एक राजनेता के रूप में जानते हैं, उनकी पहली पसंद फोटोग्राफी है, उन्हें फोटोग्राफी इनती पसंद है कि वे कभी राजनीति की तरफ नहीं आना चाहते थे. उद्धव ठाकरे ने वाइल्ड लाइफ और नेचर फोटोग्राफी करके अपने हुनर का लोहा भी मनाया. उन्होंने 40 साल की उम्र में राजनीति में कदम रखा.

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उद्धव ठाकरे का जन्म 27 जुलाई 1960 को हुआ था. उद्धव ठाकरे ने साल 1999 में महाराष्ट्र में शिवसेना के मुख्यमंत्री नारायण राणे की कार्यशैली और प्रशासनिक योग्यता की खुले तौर पर आलोचना की थी. जिसके बाद विवाद बढ़ता गया और राणे को इस्तीफा देना पड़ा. बाद में राणे को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया. इसी दरम्यान उद्धव के नेतृत्व में शिवसेना को 2002 में बृहन्मुंबई महानगर पालिका चुनावों में भारी मतों से जीत मिली थी. वर्ष 2003 में उन्हें पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया गया. पार्टी में उद्धव का दबदबा बढ़ने लगा. इसी बीच उद्धव और उनके चचरे भाई राज ठाकरे के बीच 2006 में मतभेद के बाद राज ठाकरे ने अलग होकर महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना का गठन किया.

साल 2012 में उद्धव ठाकरे ने अपने पिता बालासाहेब ठाकरे के निधन के बाद शिवसेना पार्टी की कमान संभाली थी. शिवसेना के मुखपत्र सामना का कार्यभार संभालने के बाद उन्होंने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की. लेकिन उद्धव ठाकरे की राह इनती भी आसान नहीं थी. भले ही उन्हें राजनीति विरासत में मिली थी. कुछ लोग राजनीति में उद्धव को कच्चा खिलाड़ी मानते थे, लेकिन उन्होंने धीरे-धीरे अपने प्रतिद्वंद्वियों का मुंह बंद करना शुरू कर दिया. इस दरम्यान अपने सहयोगी बीजेपी पर भी उन्होंने जमकर हमला किया. पीएम मोदी और राम मंदिर के मुद्दे पर उन्होंने सरकार की अपने मुखपत्र सामना के माध्यम से जमकर आलोचना की.