Maharashtra Assembly Elections: भाजपा-शिवसेना ने 200 सीटों की जीत का रखा लक्ष्य
बावनकुले की टिप्पणी के बाद यह बयान आया कि भाजपा 240 सीटों पर चुनाव लड़ेगी और शेष 48 सीटें शिवसेना को देगी. सत्तारूढ़ सहयोगी शिवसेना के विधायक संजय शिरसाट ने बावनकुले के बयानों की आलोचना करते हुए कहा कि उन्होंने इसे 'अति उत्साह' में कहा होगा.
मुंबई, 18 मार्च: प्रदेश भारतीय जनता पार्टी (BJP) के अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले ने शनिवार को कहा कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) के नेतृत्व वाली सत्तारूढ़ सहयोगी शिवसेना के साथ मिलकर उनकी पार्टी अगले विधानसभा चुनाव में कम से कम 200 सीटें जीतेगी. बावनकुले की टिप्पणी के बाद यह बयान आया कि भाजपा 240 सीटों पर चुनाव लड़ेगी और शेष 48 सीटें शिवसेना को देगी. सत्तारूढ़ सहयोगी शिवसेना के विधायक संजय शिरसाट ने बावनकुले के बयानों की आलोचना करते हुए कहा कि उन्होंने इसे 'अति उत्साह' में कहा होगा. यह भी पढ़ें: Maharashtra: किसानों की पदयात्रा में शामिल 58 वर्षीय व्यक्ति की मौत
शिवसेना (यूबीटी) के सांसद संजय राउत ने कहा कि बावनकुले का बयान सभी छोटे दलों को खत्म करने की साजिश का हिस्सा है और शिंदे शिवसेना को भी बख्शा नहीं जाएगा. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले ने कहा, ''बावनकुले के पेट में जो है, वही उनकी जुबान पर आ गया'' और अब शिंदे को देखना होगा. राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटिल ने कहा कि यह एक संकेत है कि 'शिंदे समूह' का भाजपा द्वारा सफाया कर दिया जाएगा. पाटिल ने चेतावनी देते हुए कहा, बीजेपी इस बात पर जोर देगी कि शिंदे शिवसेना को अगला चुनाव उसके (कमल) चिन्ह पर लड़ना चाहिए.यह शिंदे सेना के अंत की शुरुआत होगी.
शिंदे शासन का समर्थन करने वाले 10 निर्दलीय विधायकों के नेता बच्चू कडू ने कहा कि हम केवल सरकार को समर्थन की पेशकश कर रहे हैं. कडू ने घोषणा की, हम केवल शिंदे-देवेंद्र फडणवीस को बाहर से समर्थन दे रहे हैं, और उनके गठबंधन का हिस्सा नहीं हैं। जब हम उनके गठबंधन में शामिल होंगे, तब सीट बंटवारे का मुद्दा सामने आएगा और हम देखेंगे. उधर, बावनकुले ने शनिवार को दलील दी कि उनके बयान को गलत तरीके से पेश किया गया. बावनकुले ने कहा, शिवसेना के साथ अब तक किसी सीट बंटवारे के फॉर्मूले पर कोई चर्चा नहीं हुई है, लेकिन हम चुनाव में 200 से ज्यादा सीटें जीतने का लक्ष्य रखेंगे. संयोग से, गुरुवार को, एमवीए को भी लोकसभा क्षेत्रों के लिए सीट-बंटवारे के फॉर्मूले पर इसी तरह के हंगामे का सामना करना पड़ा था.