मुरैना, 30 सितम्बर: देश के अन्य हिस्सों की तरह मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के ग्रामीण अंचलों की महिलाओं के सामने आर्थिक संकट होना आम बात है, इसके चलते उन्हें साहूकार आदि से कर्ज लेना होता है. मुरैना जिले के नूरावाद में महिलाएं स्वावलंबी बन रही है और उन्हें साहूकारों से कर्ज लेने की जरुरत नहीं पड़ रही. महिलाओं के आर्थिक तौर पर सशक्त होने की कहानी है मुरैना जिले के नूरावाद की. यहां के मां शीतला जनहितकारी महिला स्व-सहायता समूह की 83 महिलायें समूह से जुड़कर अब स्वावलम्बी बन गई है. अब वे अपने घर-गृहस्थी चलाने के साथ-साथ अपने पैरो पर खड़ी होकर स्वयं का व्यवसाय करने लगी है. इतना ही नहीं अब उन्हें किसी साहूकार से उधार पैसे लेने की जरूरत नहीं.
मध्यप्रदेश डे राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन उन जरूरतमंद महिलाओं के लिये कारगर सिद्ध हो रही है, जो महिलायें चैका-चूल्हे से बाहर नहीं निकलती थीं. अब वे शासन की योजनाओं को जानने के लिये बढ़ चढ़कर हिस्सा लें रही है. स्व-सहायता समूह की अध्यक्ष रामसखी ने बताया कि मन में टीस थी कि पति का सहयोग करने के लिये कोई रोजगार खोला जाये, पति कितना भी कमायें, किन्तु आज की मंहगाई में खर्च चलाना कठिन होता जा रहा था, उन्होंने एन.आर.एल.एम. से जुड़कर समूह की 12 महिलाओं को जोड़ा और विगत तीन वर्षों से प्रत्येक सोमवार को 25-25 रुपए समूह की महिलाओं से इकट्ठे कर 85 हजार रुपए की राशि एकत्रित कर बैंक में जमा कर दी. यह भी पढ़े: Jammu-Kashmir: महिला उद्यमियों ने कश्मीर में महिलाओं को सशक्त करने के लिए 5 दिवसीय प्रदर्शनी का आयोजन किया
उन्होंने आगे बताया कि महिलाओं से जुटाई गई राशि बैंक में सुरक्षित है. जिस समूह की महिला को परिवार खर्च के लिये जरूरत होती है तो आवश्यकतानुसार राशि बैंक से निकाली जाती है और किस्तों के रूप में धीरे-धीरे जमा कर देतीं है. अब किसी साहूकार के यहां कर्ज अथवा उधार लेने के लिये नहीं जाना पड़ता है. स्व-सहायता समूह से जुड़ी ममता, प्रेमा बाई, राजाबेटी, सुनीता, छुट्टो, भूरी, प्रेमवती और श्रीमती गुन्जावती ने बताया कि इस बार एन.आर.एल.एम. द्वारा 11 हजार रुपए का नगद पुरूस्कार दीपावली उत्सव दिया गया था. जिसे समूह की महिलाओं ने आपस में वितरित किया. समूह से जुड़ी महिलायें अब पति के साथ घर खर्च में सहयोग कर रही है. अब साहूकार के यहां पैसा उधार लेने की जरूरत नहीं.