कुंभ 2019 : भव्य मेले में शामिल होंगे 13 प्रमुख अखाड़े, जानें इनसे जुड़ी दिलचस्प बातें
कुंभ की शुरुआत से पहले ही प्रयागराज में रौनक लग चुकी है. चारों ओर सजावट जारी है. मेले में अलग- अलग अखाड़े अपनी उपस्तिथि दर्ज कर कुंभ की शोभा में चार चांद लगा देते हैं. हर बार की तरह इस बार भी कुंभ में साधु संतों के 13 अखाड़े शामिल होंगे...
कुंभ (Kumbh Mela 2019) की शुरुआत से पहले ही प्रयागराज (Prayagraj) में रौनक लग चुकी है. चारों ओर सजावट जारी है. मेले में अलग- अलग अखाड़े अपनी उपस्तिथि दर्ज कर कुंभ की शोभा में चार चांद लगा देते हैं. हर बार की तरह इस बार भी कुंभ में साधु संतों के 13 अखाड़े शामिल होंगे. साल 2019 के कुंभ मेले में सबसे बड़ा अखाड़ा कौन सा होगा और इस बार कौन से नए अखाड़े शामिल होनेवालें हैं ? आइए इनके बारे में आपको बताते हैं.
जूना अखाड़ा: नाम से ही पता चलता है कि यह अखाड़ा बहुत पुराना है. इस अखाड़े का हेड ऑफिस वाराणसी में है. इस अखाड़े में करीब चार लाख साधु हैं. सभी अखाड़ों से यह अखाड़ा सबसे बड़ा है. कुंभ में यह अखाड़ा आकर्षण का केंद्र है. कुंभ मेले में जूना अखाड़े का आकर्षण देखने योग्य है. इस अखाड़े के इष्टदेव दत्तात्रेय हैं. अखाड़े में महिला सन्यासिनी भी हैं जिन्हें माई कहा जाता है. इनके रहने के लिए अलग से बाड़ा बनाया गया है.
अटल अखाड़ा : 700 साधुओं वाले इस अखाड़े का हेड ऑफिस काशी में है. इस अखाड़े में महिला संत नहीं होती हैं. इसमें शस्त्र के रूप में भाले की पूजा की जाती है. अटल अखाड़े के इष्टदेव आदि गणेश हैं. इस अखाड़े में दो ध्वजा खड़ी की जाती है धर्म ध्वजा और पर्व ध्वजा. धर्म ध्वजा मेले में प्रवेश करते ही खड़ी कर दी जाती है जबकि पर्व ध्वजा स्नान करने जाते समय खड़ी की जाती है.
आनंद अखाड़ा: इस अखाड़े का हेड ऑफिस वाराणसी में है और इसके इष्टदेव सूर्य हैं.
आह्रवान अखाडा: इस अखाड़े में 12,000 साधु संत हैं. इस अखाड़े में भाले को पूजा जाता है और इसके इष्टदेव गणेश जी हैं. इस अखाड़े का हेड ऑफिस काशी में दशाश्वमेध घाट पर है.
निरंजनी अखाड़ा: इस अखाड़े का हेड ऑफिस इलाहाबाद में है और इसमें लगभग 10,000 हजार साधु हैं. इस अखाड़े के इष्टदेव कार्तिकेय हैं.
महानिर्वार्णी अखाड़ा: महानिर्वाणी अखाड़े के इष्टदेव कपिल महामुनि हैं. इसका हेड ऑफिस इलाहाबाद में है. इसमें करीब 6000 साधु हैं. इस अखाड़े में दो ध्वज फराए जाते हैं.
पंच अग्नि अखाडा: इस अखाड़े में 3000 साधु हैं. इसमें माता गायत्री और अग्निदेव की पूजा की जाती है. इस अखाड़े का हेड ऑफिस वाराणसी में है.
- बैरागियों के तीन अखाड़े:
दिगंबर अखाड़ा: इस अखाड़े में महिला संत नहीं होती हैं और इसके इष्टदेव बालानंद स्वामी हैं.
निर्मोही अखाड़ा : इस अखाड़े में 15000 हजार साधु है. इसकी स्थापना रामानंदाचार्य जी ने की थी. इस अखाड़े के इष्टदेव हनुमान जी हैं.
निर्वाणी अखाड़ा: इस अखाड़े के इष्टदेव हनुमान जी हैं. इसके साधु उर्ध्वपुंड तिलक लगाते हैं. इसका हेड ऑफिस अयोध्या में है.
- उदासीन परंपरा के दो अखाड़े:
पंचायती बड़ा उदासीन अखाड़ा : इस अखाड़े में लगभग 20,000 साधु हैं. इस अखाड़े के इष्टदेव पंचदेव (गोलासाहिब) हैं. इस अखाड़े का हेड ऑफिस इलाहाबाद में है.
पंचायती नया उदासीन अखाड़ा: इस अखाड़े में 5,000 साधु हैं. इसमें पंचदेव की पूजा की जाती है. इसका हेड ऑफिस हरिद्वार के कनखल में है.
- सिख परंपरा से जुड़ा अखाड़ा
निर्मल अखाड़ा: इस अखाड़े का हेड ऑफिस हरिद्वार में है. इसमें महिला साधु नहीं होती हैं. निर्मल अखाड़े की स्थापना गुरू गोविंद सिंह के सहयोगी वीर सिंह ने की थी. इस अखाड़े में गुरुग्रन्थ साहिब की पूजा की जाती है.
इसके अलावा इस साल कुंभ में किन्नर अखाड़ा भी शामिल होगा और अपनी पेशवाई निकालेगा. इस अखाड़े की अगुवाई महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी करेंगी.