Kolkata Rape and Murder Case: देशभर में डॉक्टरों के विरोध प्रदर्शन के बीच मोदी सरकार का बड़ा फैसला, केंद्र के सभी अस्पतालों में 25 फीसदी बढ़ाई जाएगी सुरक्षा

कोलकाता के आर. जी. कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में महिला डॉक्टर से रेप और हत्या की घटना के बाद देशभर भर में डॉक्टरों का विरोध प्रदर्शन जारी है. डॉक्टरों के विरोध प्रदर्शन के बीच केंद्र की मोदी सरकार ने बड़ा फैसला लिया है. सरकार की तरफ से लिए गये फैसले में केंद्र के सभी अस्पतालों में 25 फीसदी सुरक्षा बढ़ाई जाएगी.

Protest against the rape and murder of doctor | PTI

Kolkata Rape and Murder Case: कोलकाता के आर. जी. कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में महिला डॉक्टर से रेप और हत्या की घटना के बाद देशभर भर में डॉक्टरों का विरोध प्रदर्शन जारी है. डॉक्टरों के विरोध प्रदर्शन के बीच केंद्र की मोदी सरकार ने बड़ा फैसला लिया है. सरकार की तरफ से लिए गये फैसले में केंद्र के सभी अस्पतालों में 25 फीसदी सुरक्षा बढ़ाई जाएगी. इसके साथ ही उनके लिए एक कमेटी भी बनायीं जायेगीं.

जानकारी के अनुसार स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय (DGHS)  की अध्यक्षता में जो कमेटी बनाई जाएगी, वह डॉक्टरों और हेल्थकेयर वर्कर्स की समस्याओं पर सुझाव लेंगी. डॉक्टरों की बेसिक समस्याएं जैसे रेस्ट रुम, CCTV सुविधाएं इन सबको दुरुस्त किया जाएगा. जरूरत के आधार पर मार्शल भी बढ़ाए जाएंगे. यह भी पढ़े: Kolkata Rape and Murder Case: ‘अपराध की जगह सेमिनार रूम है, जहां कोई नहीं गया’, आरजी कर मेडिकल कॉलेज में हुए बवाल पर बोली कोलकाता पुलिस; VIDEO

केंद्र के अस्पतालों में 25 फीसदी बढ़ाई जाएगी सुरक्षा:

हालांकि सूत्रों ने कहा कि पश्चिम बंगाल, उत्तराखंड, दिल्ली, हरियाणा, महाराष्ट्र, असम, कर्नाटक और केरल सहित 26 राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों ने स्वास्थ्यकर्मियों की सुरक्षा के लिए कानून पारित किए हैं. इन सभी राज्यों में ये अपराध संज्ञेय और गैर-जमानती हैं. उन्होंने कहा कि कुछ रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन के साथ बैठकें की गई हैं और उन्हें भी इन पहलुओं के बारे में समझाया गया है.

सुरक्षा बढाए जाने को लेकर डॉक्टर कर रहे तह प्रदर्शन:

दरअसल कोलकाता के आर. जी. कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में महिला डॉक्टर से रेप और हत्या की घटना के बाद देशभर में विरोध जारी है. डॉक्टरों की मांग थी उनकी सुरक्षा को बढ़ाये जाने के साथ ही एक कमेटी बने. जिस मांग को मानते हुए स्वास्थ्य मंत्रालय ने यह फैसला लिया है.

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