Kids Cry For Policewala Teacher: 'पुलिसवाला टीचर' का हुआ ट्रांसफर, फूट-फूटकर रोने लगे बच्चे

उन्नाव (उत्तर प्रदेश), 23 अगस्त : उत्तर प्रदेश के उन्नाव में तैनात सरकारी रेलवे पुलिस (जीआरपी) के हेड कांस्टेबल रोहित कुमार यादव का ट्रांसफर हो गया. उनके ट्रांसफर की खबर से जहां गांव वाले उदास हो गए, तो वहीं बच्चे रोने लगे. बता दें कि रोहित कुमार यादव सिकंदरपुर कर्ण ब्लॉक के गांव कोरारी कला में सितंबर 2018 से अपनी ड्यूटी के बाद लगभग 125 बच्चों को शिक्षा देने का काम करते थे. हाल ही में उनका तबादला झांसी के सिविल पुलिस में किया गया था. जब रोहित जाने से पहले बच्चों से मिला, तो वे फूट-फूट कर रोने लगे. बच्चों ने उन्हें गले लगा लिया और उनसे न जाने का आग्रह करने लगे.

38 वर्षीय रोहित 2005 में उत्तर प्रदेश पुलिस बल में शामिल हुए थे.

उन्होंने कहा, मैं अपने पिता चंद्र प्रकाश यादव के नक्शेकदम पर चल रहा हूं, जिन्होंने हमारे पैतृक गांव इटावा में 1986 में गरीब किसानों के बच्चों के लिए एक स्कूल खोला था. जब मैं 2018 में जीआरपी में शामिल हुआ, तो मैं अक्सर वंचित परिवारों के बच्चों को कोरारी रेलवे स्टेशन के पास ट्रेनों में भीख मांगते देखता था. उनके अभिभावकों से बात करने के बाद मैंने रेलवे स्टेशन के बगल में एक ओपन-एयर स्कूल 'हर हाथ में कलम पाठशाला' शुरू किया. मैंने अपने वेतन में से 8,000 रुपये प्रति माह बच्चों के लिए किताबें, स्टेशनरी और यहां तक कि कपड़े की व्यवस्था के लिए खर्च किए. चूंकि यह एक स्वैच्छिक प्रयास था, इसलिए मैं अपनी ड्यूटी के घंटों के बाद उन्हें पढ़ाता था.

रोहित ने कहा, उन्नाव के तत्कालीन जिला परिवीक्षा अधिकारी राजेंद्र कुमार को इस पहल के बारे में जब पता चला, तो उन्होंने मुझे कोरारी कलां गांव में कक्षाएं संचालित करने के लिए एक पंचायत कार्यालय की पेशकश की. बाद में, कुछ और लोग छात्रों को पढ़ाने के लिए मेरे साथ जुड़ गए. तीन बच्चों के पिता रोहित ने कहा कि जब भी उन्हें बच्चों को पढ़ाने का समय मिलेगा, वह गांव का दौरा करते रहेंगे. हालांकि, उनकी झांसी में एक और स्कूल खोलने की कोई योजना नहीं है, जहां उन्हें अब तैनात किया गया है. उन्नाव सरकारी रेलवे पुलिस के एसएचओ राज बहादुर ने कहा, मैंने कभी ऐसा पुलिस वाला नहीं देखा, जो बच्चों के कल्याण के लिए इतना समर्पित हो. वह अपनी नियमित पुलिस ड्यूटी भी करता रहता है. वह एक रोल मॉडल है.