केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने लोकायुक्त अध्यादेश को लेकर राज्यपाल से मुलाकात की
केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने रविवार को राजभवन में राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान से मिलकर राज्य सरकार की तरफ से लाए जा रहे लोकायुकत विधेयक और इसके कारणों की चर्चा की .
तिरूवनंतपुरम, 7 फरवरी : केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने रविवार को राजभवन में राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान से मिलकर राज्य सरकार की तरफ से लाए जा रहे लोकायुकत विधेयक और इसके कारणों की चर्चा की . प्राप्त जानकारी के अनुसार एक घंटे तक चली बैठक के दौरान, उन्होंने राज्यपाल को अवगत कराया कि राज्य सरकार लोकायुक्त पर अध्यादेश ला रही है और उन्होंने इसे लाए जाने का कारण भी बताया. राजभवन के सूत्रों के अनुसार, राज्यपाल ने श्री विजयन को सूचित किया कि राज्य के विपक्षी नेताओं ने अध्यादेश के खिलाफ उन्हें हस्ताक्षर कर एक याचिका सौंपी हैं. सूत्रों के अनुसार मुख्यमंत्री ने हालांकि राज्यपाल को बताया कि लोकायुक्त अधिनियम की धारा 14 संविधान के अनुच्छेद 163 और अनुच्छेद 164 के खिलाफ है और लोकायुक्त मंत्रिमंड़ल के अधिकारों का उल्लंघन करता है.
मुख्यमंत्री द्वारा व्यक्तिगत रूप से राज्यपाल से मिलने के बाद, अब लोकायुक्त अध्यादेश पर निर्णय लेना श्री खान पर निर्भर करता है और यदि वह अध्यादेश पर हस्ताक्षर नहीं करते हैं, तो विधानसभा में इस पर चर्चा करनी होगी. केरल लोकायुक्त अधिनियम में इस तरह से संशोधन करने के लिए केरल सरकार एक अध्यादेश लाई है जो उसे भ्रष्टाचार विरोधी लोकपाल की रिपोर्ट को खारिज करने की शक्ति देता है. राज्य मंत्रिमंडल ने एक बैठक में, केरल के राज्यपाल को केरल लोकायुक्त अधिनियम, 1999 में संशोधन करने के लिए अध्यादेश जारी करने की सिफारिश की थी, ताकि सरकार को अपना पक्ष रखने के बाद लोकायुक्त के फैसले को स्वीकार या अस्वीकार करने की शक्ति प्रदान की जा सके. यह भी पढ़ें : Punjab Assembly Elections 2022: पंजाब के सीएम के चेहरे को चुनने के लिए मुख्यमंत्री केजरीवाल के फॉर्मूले का इस्तेमाल कर रही कांग्रेस
गौरतलब है कि श्री विजयन के नेतृत्व वाली पिछली वाम लोकतांत्रिक मोर्चा सरकार के दौरान, उच्च शिक्षा मंत्री, के.टी. जलील को इस्तीफा देना पड़ा क्योंकि लोकायुक्त ने उन्हें अपने पद के दुरुपयोग का दोषी पाया था. इस बीच विपक्ष के नेता वी.डी. सतीशन ने राज्यपाल को लिखे एक पत्र में कहा है कि प्रस्तावित अध्यादेश लोकायुक्त की शक्ति को केवल सलाहकार तक ही सीमित कर देगा.