हावेरी, कर्नाटक के रहने वाले शंकरगौड़ा हादिमणि, जो पिछले चार सालों से एक छोटी सी सब्जी की दुकान चला रहे हैं, उस समय चौंक गए जब उन्हें 29 लाख रुपये का GST नोटिस मिला. वह अपनी दुकान नगरपालिका हाई स्कूल मैदान के पास लगाते हैं, जहां वह रोजाना किसानों से खरीदी गई ताजी सब्जियां बेचते हैं. शंकरगौड़ा बताते हैं कि आजकल ज्यादातर ग्राहक नकद नहीं लाते, इसलिए वे UPI और डिजिटल वॉलेट के जरिए पेमेंट करते हैं. पिछले चार सालों में उनके डिजिटल ट्रांजेक्शन 1.63 करोड़ रुपये तक पहुंच गए, जिसे देखकर GST विभाग ने उन्हें नोटिस भेज दिया और 29 लाख रुपये टैक्स भरने का आदेश दिया.
साफ-साफ बात करें तो, ताज़ी और बिना प्रोसेस की गई सब्जियों पर कोई GST लागू नहीं होता. ClearTax और GST नियमों के अनुसार, अगर कोई विक्रेता किसानों से सीधे ताजा माल खरीदता है और उसे बिना किसी प्रोसेसिंग के बेचता है, तो उस पर टैक्स नहीं बनता.
डिजिटल पेमेंट पर बढ़ी नजरदारी
12 जुलाई 2025 को कर्नाटक GST विभाग ने एलान किया कि अब वे उन छोटे व्यापारियों पर खास नजर रखेंगे जो डिजिटल पेमेंट लेते हैं. अगर किसी का सालाना टर्नओवर GST रजिस्ट्रेशन की सीमा पार करता है, और उसने रजिस्ट्रेशन नहीं कराया, तो सीधे नोटिस भेजा जाएगा. इसके बाद कई दुकानदारों ने डिजिटल पेमेंट लेना बंद कर दिया और अब सिर्फ कैश में लेन-देन कर रहे हैं.
अब कैश लेने पर भी सख्ती!
17 जुलाई 2025 को विभाग ने दोबारा चेतावनी दी कि चाहे भुगतान UPI से हो या कैश में, टैक्स की गणना कुल टर्नओवर पर की जाएगी. जो व्यापारी अपनी आमदनी छिपाएंगे, उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.
छोटे दुकानदारों में डर का माहौल
शंकरगौड़ा जैसे कई छोटे विक्रेता अब असमंजस में हैं. एक तरफ डिजिटल इंडिया को बढ़ावा देने की बात होती है, और दूसरी तरफ डिजिटल ट्रांजेक्शन पर नोटिस मिल रहे हैं. ज्यादातर छोटे व्यापारी GST की जटिलताओं को समझ ही नहीं पाते, और जब उन्हें लाखों का नोटिस मिलता है, तो उनकी पूरी जिंदगी संकट में आ जाती है.













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