Karnataka: प्रवासी मजदूरों के बच्चों के लिए शिक्षा का जरिया बने बेंगलुरु के सब-इंस्पेक्टर शांतापा जाडम्मानवर, कोरोना महामारी में ऑनलाइन क्लासेस लेने में असमर्थ हैं ये बच्चे
पुरे देश में कोरोना महामारी का प्रकोप तेजी से बढ़ रहा है. कोविड-19 से संक्रमित मरीजों की बढती संख्या में कोई कमी नहीं आ रही है. कोरोना के चलते स्कूल-कॉलेज बंद हैं. साथ ही आर्थिक मोर्चे पर काफी नुकसान झेलना पड़ रहा है. हालांकि अब धीरे-धीरे सब खुलने लगा है. लेकिन स्कूल-कॉलेज के छात्रों को ऑनलाइन क्लासेज के जरिए पढाया जा रहा है.
नई दिल्ली, 8 सितंबर. पुरे देश में कोरोना महामारी (Coronavirus Outbreaks in India) का प्रकोप तेजी से बढ़ रहा है. कोविड-19 (COVID-19) से संक्रमित मरीजों की बढती संख्या में कोई कमी नहीं आ रही है. कोरोना के चलते स्कूल-कॉलेज बंद हैं. साथ ही आर्थिक मोर्चे पर काफी नुकसान झेलना पड़ रहा है. हालांकि अब धीरे-धीरे सब खुलने लगा है. लेकिन स्कूल-कॉलेज के छात्रों को ऑनलाइन क्लासेज के जरिए पढाया जा रहा है. इस दौरान वे स्मार्टफोन, कंप्यूटर या लैपटॉप के मध्यम से क्लासेस को अटेंड कर रहे हैं. लेकिन अब भी बड़ी तादाद में ऐसे बच्चे शामिल हैं जिनकी हालत उतनी ठीक नहीं है कि वे अपने बच्चों को स्मार्टफोन दे सकें. हालांकि इन सब के बीच कर्नाटक (Karnataka) के बेंगलुरु से एक अच्छी खबर सामने आ रही है. प्रवासी मजदूरों (Migrant Workers) के बच्चों के लिए एक पुलिस वाला किसी फरिश्ते से कम नहीं है.
समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार कर्नाटक के बेंगलुरु के सब-इंस्पेक्टर शांतापा जाडम्मानवर रोज सुबह अपने काम पर जाने से पहले प्रवासी मजदूरों के बच्चों को पढ़ाते हैं. ये बच्चे कोरोना महामारी में स्मार्ट फोन खरीद कर ऑनलाइन क्लासेज़ नहीं ले सकते हैं ऐसे में शांतापा ही इनकी शिक्षा का जरिया हैं. यह भी पढ़ें-Karnataka II PUC Supplementary Exam 2020: कर्नाटक में ये छात्र मुफ्त में कर सकते है केएसआरटीसी की बसों में सफर
ANI का ट्वीट-
सब-इंस्पेक्टर शांतापा जाडम्मानवर ने कहा कि मेरा प्रवासी मज़दूरों से बहुत गहरा जुड़ाव रहा है, 2005 में जब मैं बेंगलुरु आया तब मैंने भी प्रवासी मज़दूर के तौर पर काम किया था. अगर हम इन बच्चों को शिक्षा नहीं देंगे तो इनका भविष्य भी इनके माता-पिता जैसा होगा, मैं नहीं चाहता कि ये हो.