Kargil Vijay Diwas: अटलजी ने करगिल में पाकिस्तान को धूल चटाने के लिए इस मंदिर में करवाया था यज्ञ
कारगिल विजय दिवस (Photo Credit- Wikimedia Commons)

Kargil Vijay Diwas: करगिल विजय दिवस हर भारतीय के लिये गर्व की बात है. इस दिन जांबाज भारतीय सैनिकों ने पाकिस्तान को करगिल युद्ध में धूल चटाई थी. 26 जुलाई 1999 को भारत को पाकिस्तान के खिलाफ करगिल युद्ध में विजय मिली थी. ये युद्ध करीब दो महीने चला था. 3 मई से शुरू हुआ ये युद्ध 26 जुलाई को समाप्त हुआ था. इस युद्ध में देश के करीब 527 जवान शहीद हुए थे. करगिल फतह को 20 बरस पूरे होने के मौके पर सभी वीर शहीदों को हमारा शत्-शत् नमन.

कश्मीर के करगिल जिले में हुए इस युद्ध की वैसे तो कई कहानियां प्रसिद्ध है. करगिल युद्ध भारतीय सेना के साहस और जांबाजी का एक ऐसा उदाहरण है जिसे दुनियाभर में सलाम किया जाता है. 1999 में सेना ने पाक को पीछे हटने पर मजबूर कर दिया था. पाकिस्तान को भय था की कही सेना पाकिस्तान के टुकड़े ना कर दें इसलिए वो गिड़गिड़ाता हुआ अमेरिका के पास मदद के लिए चला गया था.

मंदिर में यज्ञ के बाद मिली विजय-

1999 में भारत-पाकिस्तान के बीच करगिल युद्ध के दौरान तत्कालीन पीएम अटल बिहारी वाजपेयी पर काफी दबाव था. इसके बारे में कहा जाता है कि युद्ध में देश विजयी हो, इसलिए वाजपेयी ने मप्र के दतिया में पीताम्बरा पीठ की मां बगलामुखी मंदिर में विशेष यज्ञ कराया था. मां बगलामुखी को शत्रु नाश की अधिष्ठात्री देवी माना जाता है. कहा जाता है कि जब-जब देश पर युद्ध की विपत्ति आई तब-तब यहां पर विशेष यज्ञ करवाया गया.

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मारे जाते नवाज शरीफ और परवेज मुशर्रफ-

करगिल युद्ध में अगर भारत का निशाना न चूकता तो पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ और परवेज मुशर्रफ उसी युद्ध में मारे जाते. इस बात का खुलासा भारत सरकार के एक दस्‍तावेज से हुआ. दस्तावेज के अनुसार जब पहले जगुआर ने निशाना साधा तब तक ये खबर नहीं थी कि वहां पाकिस्तानी पीएम शरीफ और मुशर्रफ मौजूद हैं.

पाकिस्तान करनेवाला था परमाणु हमला-

करगिल युद्ध के दौरान पाकिस्तान अपने परमाणु हथियार तैनात करने की तैयारी कर रहा था. व्हाइट हाउस के पूर्व अधिकारी ने यह जानकारी देते हुए बताया कि इस संबंध में सीआईए ने तत्कालीन राष्ट्रपति बिल क्लिंटन को चेताया था. ब्रूस रेडिल ने बताया कि सेना प्रमुख जनरल परवेज मुशर्रफ की मनमानी से शर्मिंदगी उठा रहे पीएम नवाज शरीफ ने वाशिंगटन आकर युद्ध खत्म कराने के लिए क्लिंटन से मदद मांगी थी.