Joshimath Sinking: उत्तराखंड के जोशीमठ और आसपास के क्षेत्र में भू-धंसाव का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. ज्योतिष्पीठ के जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज ने शनिवार को सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की है. याचिका में केंद्र सरकार, एनडीएमए, उत्तराखंड सरकार,  एनटीपीसी, बीआरओ और जोशीमठ के जिला चमोली के जिलाधिकारी को पक्षकार बनाया गया है. Sinking Joshimath: चेतावनी की अनदेखी को लेकर जोशीमठ में सरकार के खिलाफ कड़ा आक्रोश

याचिका में कहा है गया कि भू धंसाव की जद में ढाई हजार साल से भी ज्यादा प्राचीन मठ भी आ गया है. पूरा क्षेत्र इससे दहशत में है. लिहाजा सुप्रीम कोर्ट इसके लिए त्वरित उपाय क्रियान्वित करने का आदेश जारी करे. सरकार को आदेश दे कि फौरन कार्रवाई की जाए.

मठ की दीवारों और फर्श पर भी दरारें आ गई हैं. विकास योजनाओं के इस बाई प्रोडक्ट को वजह से इस ऐतिहासिक सांस्कृतिक और प्राचीन धरोहर के अस्तित्व पर संकट आ गया है.

हिमालय की तलहटी में स्थित जोशीमठ में रहने वालों का कहना है कि घरों में दरारें आ गई हैं. इलाके के 600 से अधिक घरों में दरारें आ गई हैं. विशेषज्ञों की एक टीम ने हाल ही में एक सर्वेक्षण किया और खुलासा किया कि निवासियों के बीच डर सच था. शहर वास्तव में अपने आधार पर धंस रहा है. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी यहां का दौरा किया है उन्होंने कहा कि जोशीमठ के हालात पर कड़ी नजर रखी जा रही है. वहीं केंद्र सरकार भी इस मसले पर नजर बनाएं हुए है.

जोशीमठ उत्तराखंड में ऋषिकेश-बद्रीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग (NH-7) पर स्थित एक पहाड़ी शहर है. यह शहर पर्यटन की दृष्टि में महत्वपूर्ण है. यहां बद्रीनाथ, औली, फूलों की घाटी और हेमकुंड साहिब जाने वाले लोग रात में विश्राम करते हैं.

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