JNU देशद्रोह मामले में केजरीवाल सरकार को कोर्ट की फटकार, दिल्ली पुलिस द्वारा दायर चार्जशीट को अनुमति न देने पर जाहिर की नाराजगी
जेएनयू देशद्रोह मामले में दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट ने केजरीवाल सरकार को फटकार लगाते हुए इस मामले की सुनवाई को 28 फरवरी तक के लिए टाल दिया है. कोर्ट ने दिल्ली पुलिस द्वारा दायर चार्जशीट को दिल्ली सरकार से अनुमति न दिए जाने पर नाराजगी जाहिर की है.
नई दिल्ली: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय यानी जेएनयू (JNU) देशद्रोह मामले में दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट (Patiala House Court) ने केजरीवाल सरकार (Kejriwal Government) को फटकार लगाते हुए इस मामले की सुनवाई (hearing) को 28 फरवरी तक के लिए टाल दिया है. कोर्ट ने दिल्ली पुलिस (Delhi Police) द्वारा दायर चार्जशीट (Charge Sheet) को दिल्ली सरकार (Delhi Government) से अनुमति न दिए जाने पर नाराजगी जाहिर की है. बुधवार को इस मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने दिल्ली सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि वह फाइल पर नहीं बैठ सकती है. इसके साथ ही कोर्ट ने मंजूरी न दिए जाने के पीछे केजरीवाल सरकार को अपना रुख स्पष्ट करने का निर्देश दिया है.
बता दें कि करीब तीन साल पहले भारत विरोधी नारे लगाने के आरोप में जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार और अन्य 9 लोगों के खिलाफ बीते 19 जनवरी को दिल्ली पुलिस ने आरोप पत्र दाखिल किया था. इस आरोप पत्र को लोकसभा चुनाव से कुछ महीने पहले दायर किए जाने को लेकर कन्हैया कुमार ने सवाल उठाए हैं. दरअसल, दिल्ली पुलिस ने निचली अदालत को यह बताया कि कन्हैया कुमार के साथ अन्य लोगों पर देशद्रोह का मुकदमा चलाने के लिए जरूरी मंजूरी अभी तक नहीं मिली है.
9 फरवरी 2016 का है मामला
जेएनयु कैंपस में 9 फरवरी 2016 को एक कार्यक्रम के दौरान भारत विरोधी नारे लगाने के आरोप में पुलिस ने करीब 1200 पन्ने का आरोप पत्र दाखिल किया है. पुलिस के इस आरोप पत्र में कन्हैया कुमार के अलावा उमर खालिद और अनिर्बान भट्टाचार्य को आरोपी बनाया गया है. पुलिस का कहना है कि कन्हैया कुमार उस कार्यक्रम का नेतृत्व कर रहे थे और देश विरोध नारों का समर्थन कर रहे थे. यह भी पढ़ें: कन्हैया कुमार और अन्य पर मुकदमे के लिए अदालत ने दिया 28 फरवरी तक का समय
गौरतलब है कि 9 फरवरी 2016 को संसद पर हमले के दोषी अफजल गुरू को फांसी पर लटकाए जाने के तीन साल पूरे होने पर जेएनयू परिसर में कार्यक्रम का आयोजन किया गया था. इस घटना के दो दिन बाद कन्हैया कुमार को गिरफ्तार किया गया था. जिसके बाद कन्हैया ने जमानत के लिए उच्च न्यायालय का रुख किया, लेकिन पुलिस ने उच्च न्यायालय में कन्हैया की जमानत अर्जी का विरोध जताया.
इस मामले में 24 फरवरी 2016 को जेएनयू के छात्र उमर खालिद और अनिर्बान भट्टाचार्य को गिरफ्तार किया गया था. 26 अगस्त 2016 को दिल्ली की अदालत ने कन्हैया, उमर और अनिर्बान को नियमित जमानत दी थी. पुलिस ने 14 जनवरी 2019 को कन्हैया, उमर और अनिर्बान तथा अन्य के खिलाफ देशद्रोह, दंगा भड़काने के आरोप में आरोपपत्र दाखिल किया, लेकिन केजरीवाल सरकार द्वारा चार्जशीट को अनुमति न दिए जाने पर कोर्ट ने नाराजगी जाहिर करते हुए 28 फरवरी तक मामले की सुनवाई को टाल दिया है.