J&K: पीर पंजाल रेंज क्यों है सेना के लिए बड़ी चुनौती? यहीं के पहाड़ और जंगल बन रहे हैं आतंकवादियों का ठिकाना

पीर पंजाल रेंज लंबे समय से आतंकियों का ठिकाना रही है. नियंत्रण रेखा (एलओसी) और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) सहित 225 किमी का क्षेत्र पीर पंजाल घाटी के अंतर्गत आता है, जहां आतंकवादी अक्सर सक्रिय रहते हैं.

Indian Army | PTI

श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग जिले में बुधवार को आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ के दौरान कर्नल मनप्रीत सिंह, मेजर आशीष धोनैक और डीएसपी हुमायूं भट शहीद हो गए. अनंतनाग में बुधवार को पुलिस और सेना की एक संयुक्त 2-3 आतंकवादियों के छिपने की सूचना मिलने पर कोकरनाग के हलूरा गंडूल इलाके में पहुंची थी, जैसे-जैसे वे आगे बढ़े, तो वहां पहले से छिपे आतंकियों ने सुरक्षाबलों पर गोलीबारी शुरू कर दी. इसी हमले में देश ने अपने तीन जाबांज ऑफिसरों को खो दिया. इस हमले ने देश को एक बड़ा घाव दिया है. हमले के बाद सुरक्षाबलों ने एक बार फिर दक्षिण कश्मीर, विशेषकर पीर पंजाल रेंज (Pir Panjal Range) पर अपना ध्यान केंद्रित कर दिया है. J&K: सीमा पार से लगातार आतंकी भेज रहा पाकिस्तान, अब नेपाल और पंजाब के रास्ते घुस रहे दहशतगर्द.

पीर पंजाल रेंज लंबे समय से आतंकियों का ठिकाना रही है. नियंत्रण रेखा (एलओसी) और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) सहित 225 किमी का क्षेत्र पीर पंजाल घाटी के अंतर्गत आता है, जहां आतंकवादी अक्सर सक्रिय रहते हैं. News 18 ने अपनी रिपोर्ट में बताया, 'पहले विदेशी आतंकवादी गांवों में शरण लेते थे, लेकिन अब वे पीर पंजाल के पहाड़ों या जंगल में स्थित गुफाओं और कंदराओं में छिप रहे हैं. उनकी ग्रामीणों के साथ शायद ही कोई बातचीत होती है.'

कई हिस्सों में पकड़ता है पाकिस्तानी टावरों से सिग्नल

रिपोर्ट के अनुसार, 'मुठभेड़ों में मारे गए आतंकवादियों से बरामदगी से पता चलता है कि वे अपने साथ सूखा भोजन और दवाएं रखते हैं, अधिकारियों का कहना है कि सब्जियां और अनाज जैसी रोजमर्रा की जरूरी चीजें स्थानीय संपर्क द्वारा लाई जाती हैं.' पीर पंजाल घाटी में ऐसे पॉकेट हैं, जहां पाकिस्तान से सेलुलर सेवाएं सक्रिय हैं. एलओसी के भारतीय हिस्से में कुछ हिस्से पाकिस्तानी मोबाइल टावरों से सिग्नल पकड़ते हैं. सेना ने इन स्थानों की पहचान की है और कदम उठाए जा रहे हैं.''

लेकिन एक बड़ी चुनौती वाईएसएमएस (आईकॉम रेडियो सेट के साथ प्रयुक्त येओयू स्टॉक मार्केट सिस्टम) जैसी तकनीक का उपयोग है, जो पहली बार फरवरी 2019 में पुलवामा हमले के बाद सामने आई थी, जिसमें संचार के लिए बहुत उच्च आवृत्ति और रेडियो सेट से जुड़े स्मार्टफोन का उपयोग किया जाता है. पाकिस्तान में हैंडलर्स से वॉयस नोट्स के माध्यम से निर्देश भी कार्यप्रणाली का हिस्सा है.

इन इलाकों में बढ़ी आतंकियों की गतिविधि

फर्स्टपोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार सुरक्षा विशेषज्ञों ने नोट किया है कि हाल के महीनों में पीर पंजाल रेंज, पुंछ और राजौरी के इलाकों में आतंकवाद में वृद्धि देखी गई है. उनका मानना है कि पीर पंजाल रेंज और श्रीनगर के बीच स्थित अनंतनाग, डोडा तक पहुंच के साथ यह आतंकवादियों का एक महत्वपूर्ण ठिकाना बन गया है.

दुर्गम पहाड़ियों में आतंक की साजिश

अधिकारियों का कहना है कि इस भूभाग में आतंकवादियों को छिपने के लिए कई जगहें हैं और इलाके की घेराबंदी करना बहुत मुश्किल है. कुछ अधिकारियों ने कहा है कि पीर पंजाल रेंज की स्थलाकृति "अफगानिस्तान के पहाड़ों जितनी कठिन" है और इसलिए, आतंकवादी यहां छिपते हैं.

आतंकी ऑफलाइन सिम-रहित फोन का इस्तेमाल करते हैं. जिसमें संचार के लिए ब्लूटूथ का इस्तेमाल किया जाता है और फोन पर ऑफ़लाइन एप्लिकेशन पर प्री-फेड स्थानों को फॉलो किया जाता है. इन वजहों से इन आतंकवादियों का पता लगाना और भी मुश्किल हो जाता है. ये इन्क्रिप्टेड संदेश अपने पीछे कोई डिजिटल सुराग नहीं छोड़ते हैं.

पीर पंजाल के दक्षिण का क्षेत्र का पहाड़ी इलाका जो जम्मू क्षेत्र से कश्मीर घाटी को विभाजित करता है. पीर पंजाल के दक्षिण में इसकी सीमा जम्मू-सांबा-कठुआ मैदानों से पहाड़ी क्षेत्र राजौरी-पुंछ तक मैदान के रूप में फैली हुई है. जटिल भौगोलिक स्थितियों की वजह से इन इलाकों में आतंकवादियों के खिलाफ ऑपरेशन चलाने में काफी दिक्कतें पेश आती हैं.

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