DDC Election Results 2020: क्षेत्रीय आकांक्षाओं और समेकित बलों का संयोजन

जम्मू -कश्मीर (Jammu and Kashmir) में जिला विकास परिषद (DDC) के परिणाम नवगठित केंद्रशासित प्रदेश की लोकतांत्रिक प्रक्रिया के लिए एक ऐतिहासिक क्षण है.

मतगणना | सांकेतिक तस्वीर | (Photo Credits: IANS)

श्रीनगर, 23 दिसंबर : जम्मू -कश्मीर (Jammu and Kashmir) में जिला विकास परिषद (DDC) के परिणाम नवगठित केंद्रशासित प्रदेश की लोकतांत्रिक प्रक्रिया के लिए एक ऐतिहासिक क्षण है. इन चुनावों में 50 प्रतिशत से अधिक लोगों ने भाग लिया, जिसमें संघर्षग्रस्त घाटी से 43 प्रतिशत से अधिक लोग शामिल हुए. 5 अगस्त, 2019 के बाद जम्मू-कश्मीर में पहली लोकतांत्रिक प्रक्रिया में लोगों की इतनी बड़ी भागीदारी एक ऐतिहासिक बात है, क्योंकि यह आर्टिकल 370 (Article 370) और 35 ए (35 A) के उन्मूलन और राज्य को केंद्र शासित प्रदेश में बदलने के बावजूद हुआ.

पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती (Mehbooba Mufti) सहित क्षेत्रीय नेताओं द्वारा आशंका व्यक्त की गई थी कि केंद्र इन चुनावों में बड़े पैमाने पर धांधली की योजना बना रहा है, हालांकि ये दावे गलत साबित हुए. निर्वाचन प्रक्रिया को शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न कराने का श्रेय उपराज्यपाल मनोज सिन्हा (Manoj Sinha) की अगुवाई वाले केंद्र शासित प्रदेश के प्रशासन को जाना चाहिए.

सुरक्षा बलों, विशेष रूप से, स्थानीय पुलिस ने यह सुनिश्चित किया कि आतंकवादियों को चुनावी प्रक्रिया में कोई व्यवधान पैदा करने से रोका जाए. 28 नवंबर को शुरू हुए और 19 दिसंबर को आठ चरणों में समाप्त हुए इन चुनावों में विजेता और हारने वाले आने वाले दिनों में दूरगामी राजनीतिक परिणाम दे सकते हैं. यह भी पढ़ें : J&K DDC Election Results 2020: डीडीसी चुनाव 276 सीटों के नतीजे घोषित, गुपकर को 110, बीजेपी को 74 सीटों पर मिली जीत

नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) डॉ. फारूक अब्दुल्ला (Dr. Farooq Abdullah) की अगुवाई में, इन चुनावों में एक शक्ति के रूप में उभर कर सामने आया है. डॉ. अब्दुल्ला की अगुवाई में गुपकार गठबंधन (PAGD) ने डीडीसी निर्वाचन क्षेत्रों में 105 सीटें हासिल की हैं, जिससे यह जम्मू-कश्मीर में सबसे बड़ा गठबंधन बन गया है. पीएजीडी ने जम्मू कश्मीर के रामबन और किश्तवाड़ जिलों में शानदार प्रदर्शन करते हुए जम्मू -कश्मीर के दोनों संभागों में अपनी मौजूदगी दर्ज कराई है और इनमें से प्रत्येक में सात सीटें जीतकर बहुमत हासिल किया.

घाटी में, गठबंधन ने चुनावों में पकड़ बनाई और 10 जिलों में से कम से कम सात को नियंत्रित करना सुनिश्चित किया है. अपने दम पर, एनसी ने अब तक घोषित 266 परिणामों में से 63 जीते हैं, जबकि भारतीय जनता पार्टी (B J P) 74 सीटों के साथ अब तक की सबसे बड़ी बतौर सिंगल पार्टी बनकर उभरी है. पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) ने 26, पीपल्स कॉन्फ्रेंस (पीसी) 8, माकपा 5 और जेके पीपल्स मूवमेंट (JKPM) ने 3 सीटें जीती हैं, ये सभी पीएजीडी का हिस्सा हैं. यह भी पढ़ें : J&K DDC Election Results 2020: जम्मू-कश्मीर के डीडीसी चुनाव में BJP 54, नेशनल कॉन्फ्रेंस 48, PDP को 22 सीटों पर जीत, वोटों की गिनती अभी भी जारी

कांग्रेस ने 23, अल्ताफ बुखारी की अगुवाई वाली जेके अपनी पार्टी ने 12, जेके पैंथर्स पार्टी (JKNPP) ने 2, पीपल्स डेमोक्रेटिक फ्रंट (PDF) ने 2 और बीएसपी ने एक सीट हासिल की है. 47 सीटें निर्दलीय उम्मीदवारों के पास गई हैं. दिलचस्प बात यह है कि प्रतिष्ठित श्रीनगर जिले में 14 सीटों में से 7 सीटें जीतकर निर्दलीय उम्मीदवारों ने छाप छोड़ी है. भाजपा ने पहली बार श्रीनगर, बांदीपोरा और पुलवामा जिलों में एक-एक सीटें जीतकर घाटी में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है.

पार्टी घाटी में अपनी 3 सीटों की जीत का जश्न मना रही है. शाहनवाज हुसैन, स्मृति ईरानी, तरुण चुग और कई अन्य भाजपा नेताओं ने घाटी में पार्टी के लिए प्रचार किया था. डीडीसी 3-स्तरीय पंचायती राज प्रणाली का हिस्सा हैं जो जमीनी स्तर पर विकास के लिए काम करती है. जेके अपनी पार्टी को छोड़कर अन्य सभी चुनाव लड़ने वाली पार्टियों ने अपने चुनावी अभियान के दौरान विकास की शायद ही बात की.

डीडीसी चुनाव भावनात्मक नारे पर लड़े गए, कि आप अनुच्छेद 370 के उन्मूलन या जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे के खिलाफ खड़े है, या इसके पक्ष में हैं. डीडीसी चुनाव परिणाम से उत्साहित पूर्व मुख्यमंत्री और एनसी उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने कहा कि परिणाम उन लोगों के लिए आंख खोलने वाले हैं, जो अनुच्छेद 370 के उन्मूलन के लिए खड़े थे. प्रमुख विजेताओं में पीडीपी के वहीद-उर-रहमान पारा हैं, जो वर्तमान में एनआईए की नजरबंदी में होने के बावजूद चुनाव जीत गए. यह भी पढ़े : Jammu-Kashmir: कटरा और रियासी के बीच बन रहा है देश का पहला आर्च रेल ब्रिज, निर्माण कार्य जोरों पर

अन्य प्रमुख विजेताओं में पूर्व मंत्री, कांग्रेस के ताज मोहिउद्दीन, शामलाल शर्मा और पूर्व उपमुख्यमंत्री मुजफ्फर हुसैन बेग की पत्नी सफीना बेग शामिल हैं. हारने वालों में पूर्व मंत्रियों के चार बेटे, मुला राम, मदन लाल शर्मा, मिर्जा अब्दुल रशीद और जम्मू-कश्मीर कांग्रेस के अध्यक्ष और पूर्व मंत्री के बेटे जी.ए. मीर शामिल हैं. कुल मिलाकर कहा जाए तो इन परिणामों ने स्पष्ट रूप से दिखाया है कि जम्मू-कश्मीर के लोगों को देश की लोकतांत्रिक प्रणाली में पूरा विश्वास है.

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