जेट एयरवेज के चेयरमैन नरेश गोयल (Naresh Goyal) और अनिता गोयल (Anita Goyal) ने जेट के बोर्ड से इस्तीफा दे दिया है. जेट एयरवेज (Jet Airways) के बोर्ड की आज बैठक थी. बता दें कि जेट एयरवेज लंबे समय से कर्ज के जाल में फंसी हुई है. नरेश इससे पहले खुद इस्तीफे की पेशकश कर चुके थे. उन्होंने संकट के बीच कर्मचारियों को भावुक पत्र भी लिखा था. इसमें नरेश ने कहा था कि वह किसी भी बलिदान को तैयार हैं. नरेश गोयल के हटने के बाद जेट के ऋणदाता संघ के सदस्य उनके 51 प्रतिशत हिस्सेदारी को एयरलाइंस में मिला सकते हैं. जिसके बाद आनेवाले हफ्तों में नए खरीददार की तलाश शुरू की जाएगी.
नरेश के बाद सीईओ विनय दुबे जेट एयरवेज को संकट से बाहर निकालने की पूरी कोशिश करेंगे. जेट एयरवेज के लेंडर्स के कर्ज को 11.4 करोड़ इक्विटी शेयरों में बदला जाएगा. कर्जदार कंपनी के शेयरों को निवेशकों को बेचने की प्रक्रिया शुरू करेगी. ये प्रक्रिया जून तिमाही में खत्म होगी. कंपनी के डेली ऑपरेशन को देखने के लिए एक अंतरिम मैनेजमेंट कमेटी बनाई गई है. कंपनी को 1500 करोड़ रुपए की अतिरिक्त फंडिंग मिलेगी. ये पूंजी जेट को संकट से निकालेगी. यह भी पढ़ें- लोकसभा चुनाव 2019: कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन में कंफ्यूजन, देवगौड़ा की सीट तुमकुर से कांग्रेस के मुद्दाहनुमेगौड़ा ने भरा फार्म
फिलहाल जेट एयरवेज पर कुल 26 बैंकों का कर्ज है. इसमें कुछ प्राइवेट और विदेशी बैंक भी शामिल हैं. पब्लिक सेक्टर बैंक में केनरा बैंक, बैंक ऑफ इंडिया, सिंडिकेट बैंक, इंडियन ओवरसीज बैंक, इलाहबाद बैंक शामिल हैं. अब इस लिस्ट में एसबीआई और पीएनबी का नाम भी जुड़ जाएगा. एयरलाइंस पर करीब 8 हजार करोड़ का कर्ज है. जेट के पायलट पहले ही अल्टीमेटम दे चुके हैं कि अगर 31 मार्च तक उनका बकाया नहीं दिया गया तो वह किसी फ्लाइट को नहीं उड़ाएंगे.
गौरतलब है कि वर्ष 1993 में नरेश गोयल ने पत्नी अनीता गोयल के साथ मिलकर जेट एयरवेज की शुरुआत की थी. उन्होंने 25 साल की मेहनत कर एक छोटी सी कंपनी को भारत की सबसे बड़ी एविएशन कंपनी में तब्दील किया.