दिवंगत मुख्यमंत्री जे जयललिता (Jayalalithaa) का 2016 में अपोलो अस्पताल में 75 दिन तक चले उपचार का खर्च 6.85 करोड़ रुपये आया था. उनकी मौत की परिस्थितियों की जांच कर रहे एक पैनल को हाल ही में यह जानकारी दी गयी जो सोशल मीडिया में वायरल हो रही है. एक पृष्ठ के सारांश में बताया गया है कि कुल बिल छह करोड़ और 85 लाख रुपये है और 44.56 लाख रुपया बकाया है. पांच दिसंबर 2016 को जयललिता की मौत के कुछ महीनों के बाद 15 जून 2017 को सत्तारूढ़ अन्नाद्रमुक द्वारा छह करोड़ रुपये का भुगतान दिखाया गया है. 13 अक्टूबर 2016 को अस्तपाल को 41.13 लाख रूपये दिये जाने का उल्लेख है. हालांकि इसमें यह उल्लेख नहीं है कि इस राशि का भुगतान किसने किया.
वहीं इस बिल में 'फूड एंड बिवरेज सर्विस' ( food and beverages) के अंतर्गत एक करोड़ 17 लाख से ज्यादा का खर्च दिखाया गया है. अस्पताल के वकील के मुताबिक इसमें अस्पताल आने वाले लोगों को शामिल किया गया है. इसके अलावा दूसरे खर्चों पर नजर डालें तो इजाल के दौरान 'कंसल्टेशन फी' 71 लाख रुपये है. वहीं यूके के एक डॉक्टर रिचर्ड बेल को 92 लाख रुपये और सिंगापुर के एक अस्पताल को 1 करोड़ 29 लाख रुपये दिए गए हैं. इसके अलावा इलाज के दौरान जयललिता जिस अस्पताल के जिस कमरे में भर्ती थी उसका किराया 1 करोड़ 24 लाख रुपये है. इसमें जयललिता की देखरेख करने वालों के कमरों के किराए भी शामिल हैं.
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बता दें कि तमिलनाडु की राजनीति में अम्मा के नाम से मशहूर जयललिता का 5 दिसम्बर 2016 को रात 11:30 बजे निधन हो गया था. उन्हें दिल का दौरा पड़ा था. हालत नाजुक होने के चलते उन्हें क्रिटिकल केयर यूनिट यानी सीसीयू में रखा गया था. बीते दिनों तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता की मौत के मामले में चौंकाने वाला खुलासा हुआ था. अपोलो अस्पताल ( Apollo hospitals) ने जयललिता की मौत की जांच कर रहे आयोग से कहा था, 'पुलिस के निर्देश पर ही हॉस्पिटल के भीतर पूर्व मुख्यमंत्री की आवाजाही के दौरान गलियारे का सीसीटीवी कैमरा बंद कर दिया गया था'. कानूनी प्रबंधक एस एम मोहन कुमार ने अस्पताल की ओर से एक हलफनामे में न्यायमूर्ति ए अरूमुगास्वामी जांच आयोग को अवगत कराया कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनाये जाने वाले चलन को देखते हुए अस्पताल में उपचार कक्ष, आईसीयू या सीसीयू में सीसीटीवी कैमरा नहीं है. (भाषा इनपुट )