बुरहान वानी के खात्मे के बाद जाकिर मूसा बना था आतंकियों का पोस्टर बॉय, सेना ने ऐसे दी मौत
जाकिर मूसा (Photo Credits: Twitter)

श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) में सुरक्षाबलों का आतंकियों के सफाए का अभियान लगातार चल रहा है. इसी कड़ी में सुरक्षाबलों को बड़ी कामयाबी हाथ लगी है. दक्षिण कश्मीर के त्राल (Tral) इलाके में सुरक्षाबलों के साथ हुई मुठभेड़ (Encounter) में अलकायदा से जुड़े आतंकी समूह अंसार गजवात-उल-हिंद (Ansar Ghazwat-ul-Hind) का मुखिया जाकिर मूसा (Zakir Musa) मारा गया है. जाकिर मूसा के खात्मे से घाटी में आतंकियों का मनोबल जरुर टूटा होगा. दरअसल हिज्बुल कमांडर बुरहान वानी के एनकाउंटर के बाद घाटी में आतंक फैलाने की जिम्मेदारी जाकिर मूसा को सौंपी गई थी. इंजनियरिंग की पढ़ाई छोड़कर आतंक की राह चुनने वाला जाकिर आतंकियों का पोस्टर बॉय बन गया था.

अधिकारियों के मुताबिक गुरुवार रात त्राल क्षेत्र के ददसारा गांव में सुरक्षाबलों ने गुप्त सूचना के आधार पर सर्च अभियान चलाया. इस दौरान सुरक्षाबलों और आतंकियों के बीच मुठभेड़ शुरू हो गई. जिसके बाद इलाके की तगड़ी घेराबंदी की गई. शाम को जब सुरक्षाबलों को लगा कि रात होने पर जाकिर फरार हो सकता है तो सेना ने घर को उड़ा दिया. इसके बाद भी जाकिर के मौत की पुष्टी होने तक घर में फंसे आतंकियों को निकालने की कोशिश करते हुए सुरक्षाबलों ने गोलियां चलाई. दरअसल सेना चाहती थी की जाकिर मूसा सरेंडर कर दें लेकिन इसके उलट वह सुरक्षाबलों पर घर के अंदर से गोलियां बरसा रहा था.

बताया जा रहा है कि मुठभेड़ स्थल पर मूसा की मौजूदगी की पुष्टि होने के बाद मुठभेड़ स्थल पर अतिरिक्त सुरक्षाबल भेजे गए. शीर्ष कमांडर जाकिर मूसा अलग इस्लामिक राज्य की स्थापना चाहता था और उसने अपने इसी मकसद के लिए जंग का रास्ता चुना. आतंकी संगठन अंसार गजावत-उल-हिंद के चीफ जाकिर मूसा को उसी इलाके में मार गिराया गया है, जहां साल 2016 में सेना ने हिज्बुल के कमांडर बुरहान वानी को ढेर किया था.

आतंकी जाकिर मूसा भी बुरहान वानी की तरह ही टेक्नॉलजी के बारे में बहुत अधिक जानकारी रखता था. यहीं वजह थी की जाकिर को लंबे समय से सुरक्षाबल तलाश रहे थे. वह घाटी में सुरक्षाबलों पर हुए कई हमलों की घटनाओं में शामिल था.

बुरहान के ढेर होने के बाद जाकिर मूसा सुरक्षाबलों के लिए घाटी में सबसे बड़ा टारगेट था. उसकी पकड़ कश्मीर के अलावा पाकिस्तान में बैठे खालिस्तान फोर्स और बब्बर खालसा के आतंकियों तक थी. इसके अलावा उसका अलकायदा के साथ ही आईएस के आतंकियों से भी संपर्क था. मूसा मानता था कि घाटी में उसकी लड़ाई धार्मिक है. इसलिए उसने अलगाववादी नेताओं को कई बार जान से मारने की धमकी भी दी.