अफजल गुरु की फांसी की बरसी पर अपने नापाक मंसूबों को अंजाम देने की फिराक में आतंकी, अलगाववादियों ने किया बंद का ऐलान
कश्मीर घाटी (Photo Credit- IANS)

संसद भवन पर हमले के दोषी अफजल गुरु (Afzal Guru)  की बरसी के मौके पर आतंकी जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) में अपने नापाक मंसूबों को अंजाम देने की फिराक में हैं. आतंकवादियो (Terrorists) के इस नापाक मंसूबों की भनक लगते ही खुफिया एजेंसियों (Intelligence Agencies) ने एक बड़ा अलर्ट (Alert) जारी किया है. खुफिया एजेंसियों ने अलर्ट जारी करते हुए कहा कि आतंकी, जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा बलों के डिप्लॉयमेंट और उनके आने-जाने के रास्ते पर आईईडी से हमला कर सकते हैं. उधर, अफजल गुरु को फांसी दिए जाने की छठी बरसी पर अलगाववादियों ने बंद और प्रदर्शन का आह्वान किया है. अलगाववादियों के इस आह्वान की वजह से शनिवार को कश्मीर में सामान्य जनजीवन प्रभावित रहा.

ज्ञात हो कि संसद भवन पर हमले के मामले में अफजल गुरु को 9 फरवरी 2013 को फांसी दी गई थी और उसे तिहाड़ जेल के भीतर दफना दिया गया था. अधिकारियों ने बताया कि अलगाववादियों द्वारा बुलाए गए बंद की वजह से दुकानें और अन्य वाणिज्यिक प्रतिष्ठान बंद रहे, जबकि सरकारी परिवहन सड़कों से नदारद रहा.

हुर्रियत कॉन्फ्रेंस और जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) के दोनों धड़ों से मिलकर बने अलगाववादी समूह ‘संयुक्त प्रतिरोध नेतृत्व (जेआरएल)’ ने अपनी उस मांग को लेकर दबाव बनाने के लिए बंद का आह्वान किया है कि गुरु के शव के अवशेषों को वापस किया जाए ताकि उन्हें कश्मीर में दफनाया जा सके.

अधिकारियों ने कहा कि किसी भी विरोध मार्च को रोकने के लिए सैयद अली शाह गिलानी, मीरवाइज उमर फारूक और कई अन्य अलगाववादी नेताओं को नजरबंद किया गया है. उन्होंने कहा कि कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए घाटी में संवेदनशील स्थानों पर सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया गया है. यह भी पढ़ें: जम्मू-कश्मीर: अनंतनाग में पुलिस चौकी पर आतंकी हमला, दो जवान समेत 5 लोग जख्मी

खुफिया एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक, अफजल गुरु की छठी बरसी यानी 9 फरवरी की रात आतंकी सेना के कैंप पर हमला कर सकते हैं, इसलिए अलर्ट जारी किया गया है. हालांकि इससे पहले भी खुफिया एजेंसियों ने सेना के कैंप पर आतंकी हमले का अलर्ट जारी किया था. इस अलर्ट के बावजूद सेना के कई कैंपों पर ग्रेनेड हमले भी हुए थे. बता दें कि नए साल पर सेना ने आतंकियों के सफाए का अभियान चला रखा है और पिछले दिनों कई आतंकियों को मुठभेड़ के दौरान मार गिराया.

गौरतलब है कि संसद भवन पर हमले के मामले में अफजल गुरु को 9 फरवरी 2013 को फांसी दी गई थी और एक खुफिया अधिकारी की हत्या के मामले में जेकेएलएफ के संस्थापक मोहम्मद मकबूल भट्ट को 11 फरवरी 1984 को फांसी दी गई थी. अफजल की फांसी को लेकर अलगाववादियों में खासा विरोध देखने को मिला था.

(भाषा इनपुट के साथ)