Muslims On Same Sex Marriages: समलैंगिक विवाह के विरोध में सुप्रीम कोर्ट पहुंचा जमीयत उलेमा ए हिंद, पक्षकार बनाने की मांग

जमीयत उलमा ए हिंद ने समलैंगिक विवाह को मान्‍यता देने का विरोध किया है और सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है, जिसमें जमीयत की ओर से इस मामले में पक्षकार बनने की मांग की गई है.

Supreme Court On Same Sex Marriage (Photo Credit : Twitter)

Supreme Court On Same Sex Marriage: देश में समलैंगिक विवाह (Same Sex marriage) को मान्‍यता देने को लेकर चल रही बहस में अब जमीयत उलमा ए हिंद (Jamiat Ulama E Hind) भी कूद पड़ा है. जमीयत ने समलैंगिक विवाह को मान्‍यता देने का विरोध किया है और सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है, जिसमें जमीयत की ओर से इस मामले में पक्षकार बनने की मांग की गई है.

जमीयत उलमा-ए-हिंद के मौलाना महमूद मदनी ने भारत में समान-सेक्स विवाह के लिए कानूनी मान्यता से संबंधित मामले में हस्तक्षेप की मांग की है. जमीयत उलमा-ए-हिंद ने भारत के मौजूदा कानूनी शासन में समान लिंग विवाह में फिट होने की याचिकाओं का विरोध करते हुए तर्क दिया है कि एक कानूनी संस्था के रूप में, विपरीत लिंग के बीच विवाह भारत के कानूनी शासन के केंद्र में रहा है. ये भी पढ़ें- Same-Sex Marriage: समलैंगिक विवाह इंडियन फैमिली सिस्टम के खिलाफ, सुप्रीम कोर्ट में बोला केंद्र सरकार

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को सुनवाई के लिए पांच जजों की संविधान पीठ के पास भेज दिया है. इस मामले पर संविधान पीठ इस मामले की 18 अप्रैल से सुनवाई करेगी. समलैंगिक विवाह की मांग का विरोध करते हुए जमीयत की अर्जी में कहा गया है कि समलैंगिक विवाहों को मान्यता देने की मांग करने वाली याचिकाएं विवाह की अवधारणा को कमजोर कर रही हैं, क्‍योंकि विवाह स्थिर संस्था है.

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