अंतरिक्ष में भेजा गया स्वदेशी उपग्रह GSAT-29: हिंद महासागर में भारत की पकड़ होगी और मजबूत, घुसपैठिये होंगे पस्त

भारत ने अंतरिक्ष के क्षेत्र में बुधवार को एक और बड़ी उपलब्धि अपने नाम दर्ज करवाई. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से स्वदेशी संचार उपग्रह GSAT- 29 को सफलतापूर्वक लांच किया.

जीसैट-29 (Photo Credit: Twitter)

बेंगलुरु: भारत ने अंतरिक्ष के क्षेत्र में बुधवार को एक और बड़ी उपलब्धि अपने नाम दर्ज करवाई. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से स्वदेशी संचार उपग्रह जीसैट-29 को सफलतापूर्वक लांच किया. इसरो के मुताबिक पृथ्वी से 36,000 किमी दूर जियो स्टेशनरी ऑर्बिट में स्थापित होने वाले इस उपग्रह से दूरदराज के क्षेत्रों में हाई स्पीड डेटा को ट्रांसफर करने में मदद मिलेगी.

भारत में बनाए गए उच्च प्रवाह क्षमता वाले जीएसएलवी मार्क थ्री-डी2 मिशन के संचार उपग्रह जीसैट-29 को आज शाम 5.08 बजे प्रक्षेपित किया गया. यह भूमध्य रेखा के लिये जरूरी झुकाव के साथ उपग्रह को भूस्थैतिक स्थानांतरण कक्षा (जीटीओ) में स्थापित करेगा.

इसरो के चेयरमैन के सिवान के मुताबिक जीसैट-29 पर एक 'हाई रेज्यूलेशन' का कैमरा लगाया गया है. जिसकी मदद से हिंद महासागर में दुश्मनों की जहाज पर बारीकी से नजर रखी जा सकेगी. साथ ही भारत सरकार के डिजिटल इंडिया मिशन को बल मिलेगा. इस संचार उपग्रह से जम्मू-कश्मीर समेत उत्तर-पूर्वी भारत के इलाकों में इंटरनेट पहुंचाने में मदद मिलेगी.

जीसैट-29 उपग्रह में मौजूद प्रणोदन प्रणाली का इस्तेमाल करते हुए इसे अंतिम भूस्थैतिक कक्षा (जीईओ) में पहुंचाया जाएगा, और प्रक्षेपक से अलग होकर निर्धारित कक्षा में पहुंचने में कुछ दिनों का वक्त लग सकता है.

जीसैट-29 अगले 10 साल तक अंतरिक्ष में काम करेगा. इसरो ने इसे लांच करने के लिए GSLV-एमके 3 राकेट का इस्तेमाल किया जो कि भारत का सबसे वजनी रॉकेट है. यह  पूरी तरह भारत में बना है. इस विशाल रॉकेट की ऊंचाई किसी 13 मंजिली इमारत के बराबर है और यह चार टन तक के उपग्रह को अंतरिक्ष में भेजने में सक्षम है.

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