Aditya L1 Launch: आज फिर इतिहास रचेगा ISRO, सूर्य मिशन के लिए 11:50 बजे लॉन्च होगा आदित्य-एल 1

ISRO ने बताया कि इसे शनिवार यानि आज सुबह 11 बजकर 50 मिनट पर आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से पीएसएलवी (PSLV) से लॉन्च किया जाएगा. लॉन्चिंग के बाद इस उपग्रह को L1 नामक कक्षा तक पहुंचने में लगभग 109 दिन लगेंगे, जो 15 लाख किलोमीटर से अधिक की दूरी तय करेगा.

Aditya L1 Launch (Photo Credit: Twitter/X)

Aditya L1 Mission: चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग  के बाद भारत अब सूर्य पर अपना ध्यान केंद्रित कर रहा है. इसरो (ISRO) द्वारा निर्मित Aditya-L1 सैटेलाइट आज लॉन्च किया जाएगा. सूर्य के बारे में जानकारी एकत्र करने के लिए भारत पहली बार मिशन लॉन्च कर रहा है. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने बताया कि इसे शनिवार यानि आज सुबह 11 बजकर 50 मिनट पर आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से पीएसएलवी (PSLV) से लॉन्च किया जाएगा.

109 दिन में 1.5 मिलियन KM से अधिक की दूरी तय करेगा आदित्य-L1

लॉन्चिंग के बाद इस उपग्रह को L1 नामक कक्षा तक पहुंचने में लगभग 109 दिन लगेंगे, जो 15 लाख किलोमीटर से अधिक की दूरी तय करेगा. आदित्य-L1 अपने मिशन सूर्य-पृथ्वी प्रणाली के लैग्रेंज बिंदु L1 यानी सौर प्रभामंडल कक्षा में रहेगा. यह पृथ्वी से लगभग 1.5 मिलियन किलोमीटर दूर है. L1 बिंदु के चारों ओर सौर प्रभामंडल कक्षा में आदित्य-L1 को बिना किसी ग्रहण या ग्रहण वाले सूर्य पर लगातार निगाह रखने का प्रमुख लाभ होगा. दरअसल, इससे हमें वास्तविक समय में सौर गतिविधियों और अंतरिक्ष मौसम पर इसके प्रभाव को देखने का अत्यधिक लाभ मिल सकेगा. Aditya-L1 Mission LIVE: सूर्य मिशन का काउंटडाउन शुरू, जानें- कहां और कैसे देख सकते हैं आदित्य-L1 की लॉन्चिंग लाइव

मिशन का फायदा

बता दें कि ‘आदित्य-एल 1’ सूर्य के अवलोकन के लिए पहला समर्पित भारतीय अंतरिक्ष मिशन होगा, जिससे अंतरिक्ष एजेंसी इसरो द्वारा प्रक्षेपित किया जाएगा. आदित्य-एल1 मिशन का उद्देश्य एल1 (सूर्य-पृथ्वी लाग्रेंज बिंदु) के चारों ओर की कक्षा से सूर्य का अध्ययन करना है. यह अंतरिक्ष यान सात पेलोड लेकर जाएगा. अंतरिक्ष यान को सौर कोरोना (सूर्य की सबसे बाहरी परतों) के दूरस्थ अवलोकन और एल1 (सूर्य-पृथ्वी लाग्रेंज बिंदु) पर सौर हवा के यथास्थिति अवलोकन के लिए बनाया गया है. एल1 पृथ्वी से करीब 15 लाख किलोमीटर दूर है. बता दें कि पृथ्वी से सूर्य की दूरी 150 मिलियन लाख किलोमीटर है. आदित्य-एल1 मिशन, जिसका उद्देश्य L1 के चारों ओर की कक्षा से सूर्य का अध्ययन करना है.

यह सूर्य के अंदरूनी हिस्सों से बहुत तेजी से निकलने वाले कोरोनल मास इजेक्शन (Coronal Mass Ejections -CMEs) को ट्रैक करेगा. इसके अलावा यह मिशन सूर्य का नजदीक से निरीक्षण करेगा और इसके वातावरण तथा चुंबकीय क्षेत्र के बारे में अध्ययन करेगा. यह उपग्रह, सौर लपटों के कारण धरती के मौसम पर पड़ने वाले प्रभावों और इलेक्ट्रॉनिक संचार में पड़ने वाली बाधाओं का भी अध्ययन करेगा.

आदित्य-L1 विद्युत चुम्बकीय और कण और चुंबकीय क्षेत्र डिटेक्टरों का उपयोग करके प्रकाश मंडल, क्रोमोस्फीयर और सूर्य की सबसे बाहरी परतों (कोरोना) का निरीक्षण करने के लिए सात पेलोड ले जाएगा.

रिमोट सेंसिंग पेलोड

1. दृश्यमान उत्सर्जन रेखा कोरोनाग्राफ (YLC)

2. सौर पराबैंगनी इमेजिंग टेलीस्कोप (SUIT)

3. सौर निम्न ऊर्जा एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर (SoLEXS)

4. उच्च ऊर्जा L1 कक्षीय एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर (HEL1OS)

इन-सीटू पेलोड

5 आदित्य सौर पवन कण प्रयोग (ASPEX)

6 आदित्य के लिए प्लाज्मा विश्लेषक पैकेज (PAPA)

7 उन्नत त्रि-अक्षीय उच्च रिजॉल्यूशन डिजिटल मैग्नेटोमीटर

उम्मीद की जा रही है कि आदित्य-L1 पेलोड के सूट कोरोनल हीटिंग, कोरोनल मास इजेक्शन, प्री-फ्लेयर और फ्लेयर गतिविधियों और उनकी विशेषताओं, अंतरिक्ष मौसम की गतिशीलता, कण और क्षेत्रों के प्रसार की समस्या को समझने के लिए बिंदु L1 का उपयोग करते हुए सूर्य के रहस्यों से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी एकत्रित करेगा. यह सूर्य के अंदरूनी हिस्सों से बहुत तेजी से निकलने वाले कोरोनल मास इजेक्शन (Coronal Mass Ejections -CMEs) को ट्रैक करेगा. यह उपग्रह, सौर लपटों के कारण धरती के मौसम पर पड़ने वाले प्रभावों और इलेक्ट्रॉनिक संचार में पड़ने वाली बाधाओं का भी अध्ययन करेगा.

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