What is POCSO Act: क्या पॉक्सो मामलों में जमानत का नियम है? बच्चों के खिलाफ यौन अपराधों से निपटने वाले कानून के बारे में जानें सबकुछ
पॉक्सो एक्ट में 18 वर्ष से कम आयु के बच्चों को यौन-शोषण, यौन उत्पीड़न एवं पोर्नोग्राफी के खिलाफ असरदार तरीके से बचाव करने के प्रावधान हैं. इसके साथ ही आरोपितों को सजा के कड़े प्रावधानों की व्यवस्था है.
What is POCSO Act: कर्नाटक हाईकोर्ट ने हाल ही में यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण अधिनियम (POCSO) के तहत दर्ज मामले में पूर्व सीएम बीएस येदियुरप्पा की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी थी. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा था कि बीएस येदियुरप्पा राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री हैं. क्या आपका कहना है कि वह देश छोड़कर भाग जाएंगे? वह बेंगलुरू से दिल्ली आकर क्या कर सकते हैं? अब सवाल यही है कि क्या ऐसे मामलों में जमानत के नियम बनाए गए हैं? इस आर्टिकल में हम POCSO कानून के बारे में सब कुछ जानेंगे.
बता दें, पॉक्सो एक्ट का फुल फॉर्म है – Protection of Children Against Sexual Offence है, जिसे यौन अपराधों के खिलाफ बच्चों की सुरक्षा संबंधी कानून के तौर पर भी जाना जाता है. POCSO एक्ट 2012 में भारत सरकार द्वारा बनाया गया कानून है.
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क्या है पॉक्सो (POCSO Act) कानून?
पॉक्सो एक्ट में 18 वर्ष से कम आयु के बच्चों को यौन-शोषण, यौन उत्पीड़न एवं पोर्नोग्राफी के खिलाफ असरदार तरीके से बचाव करने के प्रावधान हैं. इसके साथ ही आरोपितों को सजा के कड़े प्रावधानों की व्यवस्था है. POCSO एक लिंग-तटस्थ कानून है, क्योंकि यौन अपराध का शिकार बच्चा लड़का या लड़की हो सकता है. इसके अलावा अपराध करने वाला व्यक्ति भी किसी भी लिंग का हो सकता है. इस कानून के तहत बच्चों और नाबालिगों के साथ अश्लील हरकत करना, उनके प्राइवेट पार्ट्स को छूना या अपने प्राइवेट पार्ट को टच करवाना, बच्चों को अश्लील फिल्म या पोर्नोग्राफिक कंटेंट दिखाना आता है. इन सभी अपराधों में कड़ी सजा का प्रावधान है.
पॉक्सो एक्ट लगने पर क्या सजा मिलती है?
पॉक्सो कानून के तहत 12 वर्ष से कम उम्र के बच्चो के प्रति रेप का आरोप सिद्ध होने पर पोक्सो एक्ट के तहत आजीवन कारावास एवं मृत्युदंड का प्रावधान है. 16 वर्ष तक के नाबालिक बच्चो के प्रति यौन आरोप सिद्ध होने पर न्यूनतम 10 वर्ष एवं अधिकतम 20 वर्ष की कड़ी कैद का प्रावधान है. यह कानून सिर्फ नाबालिग लड़कियां ही नहीं बल्कि नाबालिग लड़कों के लिए भी लागू होता है.
क्या पॉक्सो मामलों में जमानत का नियम है?
पॉक्सो मामलों में जमानत केस दर केस आधार पर दी जाती है. न्यायालय के पास यह निर्णय लेने का विवेकाधीन अधिकार है कि उसे अपनी योग्यता और परिस्थितियों के आधार पर जमानत दी जानी चाहिए या नहीं. हालांकि, ऐसे मामलों में जमानत प्राप्त करना आसान नहीं है. कई मौकों पर न्यायालयों ने माना है कि POCSO मामलों में जमानत अत्यंत सावधानी से और कुछ कारकों पर विचार करने के बाद दी जानी चाहिए.