इनकम टैक्स फाइल करने वालों के लिए जरूरी खबर! जानिए कौन सा आईटीआर फॉर्म आपके लिए है?
Income Tax Return 2025

इनकम टैक्स विभाग ने आईटीआर-1 (ITR-1) से लेकर आईटीआर-5 (ITR-5) तक के फॉर्म जारी कर दिए हैं, जो वित्त वर्ष (Financial Year) 2024-25 और असेसमेंट वर्ष (Assessment Year) 2025-26 के लिए लागू होंगे. हर साल इनकम टैक्स विभाग आईटीआर फॉर्म्स में कुछ न कुछ बदलाव करता है, और इनके साथ पात्रता की पूरी जानकारी भी जारी करता है, ताकि टैक्सपेयर्स सही फॉर्म चुन सकें.

इस बार के बदलावों में एक खास बात यह है, कि आईटीआर फॉर्म्स में एक नया सेक्शन जोड़ा गया है, जिसमें टैक्स फ्री लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स (LTCG) की जानकारी भरनी होगी. आईटीआर फाइल करने की आखिरी तारीख 31 जुलाई 2025 तय की गई है, इसलिए समय पर रिटर्न भरना जरूरी है, ताकि किसी तरह का जुर्माना या ब्याज न लगे.

किस आईटीआर फॉर्म का उपयोग कौन कर सकता है?

आईटीआर-1 (ITR-1)

आईटीआर-1 फॉर्म उन व्यक्तियों के लिए है, जो भारत के निवासी हों (लेकिन हिंदू अविभाजित परिवार एचयूएफ में इसमें शामिल नहीं हैं) और जिनकी सालाना आय 50 लाख रुपये से कम हो. यह आय मुख्य रूप से वेतन, एक मकान से मिलने वाली आय (जिसमें कोई पिछली हानि आगे नहीं लाई गई हो), ब्याज जैसे अन्य स्रोतों से, और 5,000 रुपये तक की कृषि आय से हो सकती है.

हालांकि, कुछ लोग इस फॉर्म को नहीं भर सकते. जैसे किसी कंपनी में कोई डायरेक्टर हैं, जिनके पास अनलिस्टेड शेयर (Unlisted Shares) हैं, जिन्हें किसी व्यवसाय या पेशे से आय होती है, जिनकी विदेशी संपत्ति या विदेशी स्रोत से आय है, या जिनकी लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स सेक्शन 112A के तहत 1.25 लाख रुपये से अधिक है, या जिनके पास ऐसा कैपिटल लॉस (Capital Loss) है जिसे आगे बढ़ाया गया है. ऐसे लोगों को आईटीआर-1 की जगह अन्य उपयुक्त फॉर्म भरना होगा.

आईटीआर-2 (ITR-2)

आईटीआर-2 फॉर्म उन व्यक्तियों और हिंदू अविभाजित परिवारों (HUFs) के लिए है, जो आईटीआर-1 भरने के योग्य नहीं हैं. यह फॉर्म खास तौर पर उन लोगों के लिए है, जिनकी आय में कैपिटल गेन्स (जैसे शेयर या संपत्ति बेचने से होने वाली कमाई) शामिल हो, जिनके पास एक से ज्यादा मकान हों, या जिन्हें विदेश से आय हो या विदेश में संपत्ति हो. इसके अलावा, अगर कोई व्यक्ति अपने साथ किसी और की आय (जैसे अपनी पत्नी या नाबालिग बच्चे की) को जोड़कर दिखाना चाहता है, और वह आय वेतन, किराया, ब्याज आदि से हो, तो उसे भी आईटीआर-2 फॉर्म ही भरना होगा.

आईटीआर-3 (ITR-3)

आईटीआर-3 फॉर्म उन व्यक्तियों और हिंदू अविभाजित परिवारों के लिए होता है, जो खुद का व्यवसाय या कोई पेशा करते हैं, और जिनकी कमाई असल मुनाफे (Profit) पर आधारित होती है. इसमें ऐसे लोग शामिल होते हैं, जैसे डॉक्टर (Doctor), वकील (Lawyer), चार्टर्ड अकाउंटेंट (Chartered Accountant), कंसल्टेंट (Consultant) आदि

आईटीआर-4 (ITR-4)

आईटीआर-4 फॉर्म उन रिहायशी व्यक्तियों, एचयूएफ और फर्मों (एलएलपी को छोड़कर) के लिए है, जिनकी सालाना आय 50 लाख रुपये से कम है, और जो प्रेसम्प्टिव टैक्सेशन स्कीम (Presumptive Taxation Scheme) के तहत आते हैं. प्रेसम्प्टिव टैक्सेशन का मतलब है, कि सरकार आपकी आय का अनुमान एक तय प्रतिशत के आधार पर लगाती है, जिससे आपको पूरी बहीखाता रखने की जरूरत नहीं होती है, और टैक्स फाइल करना आसान हो जाता है. इसमें तीन तरह की स्कीमें शामिल हैं. जैसे:

  • सेक्शन 44AD (छोटे व्यापारी)
  • सेक्शन 44ADA (पेशेवर जैसे डॉक्टर, वकील आदि),
  • सेक्शन 44AE (ट्रांसपोर्ट व्यवसाय करने वाले)

इस फॉर्म में वेतन, एक मकान से आय, ब्याज, पेंशन और 5,000 रुपये तक की कृषि आय को भी शामिल किया जा सकता है.

हालांकि, कुछ लोग इस फॉर्म को नहीं भर सकते है, जैसे जिनकी आय कैपिटल गेन्स से हो, जिनके पास विदेश से आय हो, या जिनके पास एक से ज्यादा मकान हों.

आईटीआर-5 (ITR-5)

आईटीआर-5 फॉर्म उन संस्थाओं के लिए होता है, जो व्यक्ति या एचयूएफ नहीं होतीं है, जैसे फर्म (Firm), एलएलपी (LLP), व्यक्तियों का संघ (AOP), समूह (BOI) या अन्य कानूनी संस्थाएं. इन संस्थाओं को अपनी साल भर की आय और खर्च का ब्योरा इसी फॉर्म के जरिए इनकम टैक्स विभाग को देना होता है.

हर टैक्सपेयर के लिए जरूरी है, कि वह अपनी आय के अनुसार सही आईटीआर फॉर्म चुने, और  समय पर रिटर्न भरें, ताकि जुर्माना या किसी परेशानी से बचा जा सके.