भारत का पानी भारत में ही बहेगा भारत के ही काम आएगा; PM मोदी की पाकिस्तान को दो टूक
PM Narendra Modi | ANI

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को एक मीडिया कार्यक्रम में मंच से बोलते हुए उन्होंने कहा, "भारत का पानी भारत में ही बहेगा, भारत के ही काम आएगा." यह बात उन्होंने सीधे तौर पर पाकिस्तान का नाम लिए बिना कही, लेकिन साफ संकेत दे दिया कि सिंधु जल समझौते (Indus Waters Treaty) को अब भारत गंभीरता से पुनः विचार के दायरे में ले आया है. प्रधानमंत्री ने व्यंग्य करते हुए कहा, "आजकल मीडिया में पानी की बड़ी चर्चा है…" और इस पर वहां मौजूद लोगों की तालियों के बीच उन्होंने कहा, "सब समझ गए!". उनका यह इशारा उस पानी की ओर था, जो दशकों से पाकिस्तान की ओर बह रहा था, लेकिन अब सरकार ने उसे रोकने की ठान ली है.

वोट बैंक नहीं, हमारे लिए 'नेशन फर्स्ट'

पीएम मोदी ने यह भी स्पष्ट किया कि उनकी सरकार किसी वोट बैंक की राजनीति में नहीं उलझती. उन्होंने कहा, "पहले कोई भी बड़ा कदम उठाने से पहले सोचा जाता था कि दुनिया क्या सोचेगी, वोट मिलेगा या नहीं, कुर्सी बचेगी या नहीं. लेकिन ऐसे में देश आगे नहीं बढ़ सकता. उन्होंने कहा कि 'नेशन फर्स्ट' यानी ‘राष्ट्र पहले’ की सोच के साथ उनकी सरकार ने कई ऐसे फैसले लिए हैं जो लंबे समय से लटके हुए थे. सिंधु जल समझौते पर भी यही सोच लागू की जा रही है.

सिंधु जल समझौते पर क्यों गर्माया मुद्दा?

भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु जल समझौता 1960 में हुआ था, जिसमें छह नदियों के जल बंटवारे की व्यवस्था की गई थी. तीन नदियों – ब्यास, रावी और सतलुज – का पानी भारत को मिला जबकि सिंधु, झेलम और चेनाब का जल पाकिस्तान को. लेकिन अब हालात बदल गए हैं. पीएम मोदी का बयान उस समय आया है जब 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने देश को झकझोर दिया था, जिसमें 26 लोगों की जान गई, जिनमें अधिकतर पर्यटक थे. इसके बाद भारत ने कई कड़े कदम उठाने का संकेत दिया था और अब पानी के मुद्दे पर भी यह सख्ती नजर आ रही है.

पीएम मोदी का यह संदेश न सिर्फ पाकिस्तान को चेतावनी है, बल्कि यह भी संकेत है कि अब जल जैसे संसाधनों को भी भारत रणनीतिक रूप से देख रहा है. यह फैसला न सिर्फ एक पर्यावरणीय या आर्थिक मुद्दा है, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा और राजनयिक नीति का हिस्सा भी बनता जा रहा है.