जिस पीपीपी(Public-Private Partnership) यानी पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप के तहत भारतीय रेलवे ने निजी कंपनियों के सहयोग से ट्रेनें (Train) चलाने का फैसला लिया है, उसमें 23 कंपनियों ने ट्रेनें चलाने की इच्छा जताई है. यानी जो कंपनियां रेलवे की निविधा शर्तों पर खरी उतरेंगी उनको प्रमुख रेलवे स्टेशनों के बीच ट्रेनें चलाने का मौका मिलेगा. आपको बता दें कि ये वो ट्रेनें होंगी जिनमें केवल ड्राइवर और गार्ड रेलवे के होंगे, बाकी सब निजि कंपनी का होगा और उसमें होने वाली आमदनी कंपनियां सरकार के साथ साझाा करेगी. साथ ही इन अतिरिक्त प्राइवेट ट्रेनों के परिचालन से रोजगार के अवसर भी निश्चित तौर पर बढ़ेंगे.
निजी रेलगाड़ी परियोजना के लिए आवेदन से संबंधित दूसरा सम्मेलन बुधवार को आयोजित किया गया, जिससे जुड़ी जानकारी गुरुवार को मंत्रालय ने साझा की.मंत्रालय के अनुसार यात्री रेलगाड़ियों के परिचालन में निजी भागीदारी वाली यह परियोजना बड़ा बदलाव लाएगी. इसके जरिए एक ओर जहां यात्री सुविधाओं की गुणवत्ता में काफी इजाफा होगा, वहीं आधुनिक प्रौद्योगिकी के माध्यम से समय में बचत और मांग तथा आपूर्ति के बीच के अंतर को काफी हद तक कम किया जा सकेगा. यह परियोजना जनता के लिए परिवहन सेवाओं की उपलब्धता में वृद्धि करेगी. यह भी पढ़े: रेलवे का कोई निजीकरण नहीं कर सकता, इसका कोई मतलब ही नहीं: रेल मंत्री पीयूष गोयल
ये निजी रेलगाडि़यां पहले से ही रेलवे द्वारा चलाई जा रही रेलगाडि़यों के अतिरिक्त होंगी, इन अतिरिक्त निजी गाड़ियों के परिचालन से रोजगार के अवसर बढ़ने की उम्मीद परियोजना में शामिल होने के इच्छुक निजी भागीदारों का चयन दो चरणों वाली प्रतिस्पर्धी बोली प्रक्रिया के माध्यम से किया जाएगा, जिसमें अनुरोध के लिए अर्हता (आरएफक्यू) और अनुरोध के लिए प्रस्ताव (आरएफपी) शामिल हैं.इस निजी रेलगाड़ी परियोजना के लिए आवेदन से संबंधित पहला सम्मेलन 21 जुलाई, 2020 को आयोजित किया गया था,
रेलगाड़ियों को पट्टे पर देने की अनुमति
पहले सम्मेलन के बाद, रेल मंत्रालय ने एक से अधिक परियोजनाओं में भाग लेने की इच्छुक आवेदक कंपनियों के लिए आरएफक्यू शुल्क में 10 प्रतिशत की कमी कर दी है। इसके अलावा बोली लगाने वालों के लिए तीन परियोजनाओं तक की बोली लगाने की सीमा भी खत्म कर दी है। यह भी स्पष्ट किया है कि रेलगाड़ियों को पट्टे पर देने की अनुमति होगी। रेल मंत्रालय ने सम्मेलन में यातायात डेटा, रियायत समझौते, व्यवहार्यता रिपोर्ट और ट्रेन मानकों और विनिर्देशों के मसौदे को भी साझा किया.
बोली प्रक्रिया के तहत रेल मंत्रालय द्वारा आयोजित दूसरे सम्मेलन को अच्छी प्रतिक्रिया मिली. इसमें लगभग 23 इच्छुक कंपनियों ने हिस्सा लिया। आवेदकों ने पारदर्शी तरीके से परियोजना से जुड़े दस्तावेजों को साझा करने के रेल मंत्रालय के फैसले की सराहना की.
सम्मेलन में आरएफक्यू की शर्तों और परियोजना की रूपरेखा पर चर्चा हुई, जिसके बाद संभावित आवेदकों द्वारा उठाए गए प्रश्नों पर भी विस्तृत विचार-विमर्श हुआ. रेल मंत्रालय और नीति आयोग के अधिकारियों द्वारा इस पर स्पष्टीकरण से आरएफक्यू और बोली प्रक्रिया के प्रावधानों को बेहतर तरीके से समझने में सुविधा हुई। इस सम्मेलन पर आवेदकों की ओर से मिली प्रतिक्रिया को 21 अगस्त, 2020 तक अपलोड कर दिया जाएगा. आरएफक्यू के खुलने की नियत तारीख 8 सितम्बर, 2020 है.